देवी-देवताओं में सर्वप्रथम पूज्य भगवान श्री गणेश के बारे में हम सभी काफी कुछ जानते हैं। यह जानकारी हमें हिंदू पौराणिक ग्रंथों से मिली है। लेकिन गजानन से जुड़ी ऐसे कई प्रसंग हैं जो बहुत कम लोग जानते हैं।
जैसे कि शिव महापुराण के अनुसार श्रीगणेश की पूजा में जो दुर्वा उन्हें अर्पित की जाती है वह जड़ रहित और तीन गांठों वाली होनी चाहिए।इसी ग्रंथ में वर्णित है कि माता पार्वती को श्रीगणेश के निर्माण का सुझाव उनकी सखी जया-विजया ने दिया था। उन्होंने कहा कि नंदी और सभी गण-भूत-पिशाच भोलेनाथ की आज्ञा की पालन करते हैं। इसलिए आपको भी अपने पुत्र की रचना करनी चाहिए। वैसे, गणेश जी के शरीर का रंग लाल और हरा है। लाल रंग शक्ति और हरा रंग समृद्धि का प्रतीक माना गया है। इसलिए मंगलकारी कार्यों में गणेश जी को सर्वप्रथम पूजा जाता है। गणेश जी पौराणिक लेखक थे, उन्होंने महाभारत जैसा दुनिया का सबसे विशाल ग्रंथ लिखा था। महर्षि वेदव्यास द्वारा रचित इस ग्रंथ को गणेश जी ने लिखने में सहयोग दिया था। ब्रह्मवैवर्त पुराण के में वर्णित है कि एक बार तुलसी देवी गंगा तट से गुजर रही थी उसी उस समय वहां श्रीगणेश भी तप कर रहे थे। श्रीगणेश को देखकर तुलसी उनकी ओर आकर्षित हो गईं। उन्होंने विवाह प्रस्ताव रखा। लेकिन श्रीगणेश ने विवाह करने से इंकार कर दिया। उनका कहना था कि वो कभी विवाह नहीं करेंगे। तब क्रोध में आकर तुलसी ने श्रीगणेश को विवाह करने का श्राप दे दिया और श्रीगणेश ने तुलसी को वृक्ष बनने का श्राप दिया था।