NEW DELHI: Greater Noida Expressway पर एक दर्दनाक हादसा हुआ है। बस ने इंजीनियर की कार में टक्कर मार दी। टक्कर लगने से कार बस में फंस गई और आग लग गई। इसकी वजह इंजीनियर कार में ही जल गया।
जानकारी के अनुसार डेल्टा-1 के एफ-404 में रहने वाले दीपक उपाध्याय अंबेडकर नगर जिले के सिद्धिपुर के रहने वाले थे। वह सात-आठ साल से ग्रेटर नोएडा में रह रहे थे। उन्होंने यहीं से सिविल इंजीनियरिंग की और नोएडा सेक्टर-150 स्थित एक कंपनी में जॉब कर रहे थे। उनकी 5 साल पहले शादी हुई थी और तीन साल का एक बेटा है। यहां वह पत्नी, बेटे और छोटे भाई पवन उपाध्याय के साथ रह रहे थे।
नॉलेज पार्क थाना पुलिस ने बताया कि दीपक रविवार रात ड्यूटी खत्म करके सेंट्रो कार से घर लौट रहे थे। कार में उनका छोटा भाई पवन उपाध्याय भी था। रात करीब 9:30 बजे नोएडा-ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेसवे के जीरो पॉइंट पर पहुंचे। उनके आगे यमुना सारथी बस जा रही थी। बस ड्राइवर ने गलगोटिया कॉलेज के सामने सवारी को उतारने के लिए अचानक ब्रेक लगा दी। इस कारण दीपक कार कंट्रोल नहीं कर सके और बस से टक्कर हो गए।
कार पेट्रोल और बस सीएनजी वाली थी। टक्कर होते ही बस के पीछे लगी सीएनजी किट फट गई और आग लग गई। आग की चपेट में कार भी आ गई और कार धूं-धूं कर जलने लगी। दीपक कार में ही जिंदा जल गए, जबकि पवन किसी तरह बाहर आने में कामयाब हो गए। बस व कार दोनों वाहन पूरी तरह जल गए हैं।
नोएडा में घर बनाना चाहते थे इंजीनियर
इस हादसे में मारे गए इंजीनियर दीपक ग्रेटर नोएडा में अपना घर बनाने की प्लानिंग कर रहे थे। उनके ऊपर पूरे परिवार की जिम्मेदारी थी और वह अपने छोटे भाई को भी इंजीनियरिंग करा रहे थे। दीपक के छोटे भाई पवन उपाध्याय ने बताया कि उनके पिता किसान हैं। दीपक तीन भाइयों में सबसे बड़े थे। मंझले भाई गांव में ही रहकर खेती में पिता की मदद करते हैं।
पवन का कहना है कि दीपक करीब 12 साल पहले सिविल इंजीनियरिंग करने के लिए ग्रेटर नोएडा आए थे। कोर्स पूरा करने के बाद 6 साल पहले उन्हें नोएडा के सेक्टर-150 स्थित कंपनी में जॉब भी मिल गई। शादी के बाद भाभी (दीपक की पत्नी) भी उनके साथ आकर रहने लगीं। पिछले साल वह भी यहां आकर एक कॉलेज से इंजीनियरिंग का कोर्स करने लगे। परिजनों का कहना है कि दीपक की मौत के बाद पूरा परिवार सदमे में है। किसी को समझ नहीं आ रहा कि आगे क्या करेंगे। पोस्टमॉर्टम के बाद मिली अस्थियां लेकर परिवार अपने गांव जाकर अंतिम संस्कार करेगा। फिर यह फैसला भी होगा कि वे लोग यहां रहेंगे या ग्रेटर नोएडा छोड़कर चले जाएंगे।