जिस तरह मंगलवार को सपा प्रमुख अखिलेश यादव को प्रयागराज जाने से रोका गया, कुछ इसी तर्ज पर वर्ष 2015 में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को रोका गया था। इविवि में छात्रसंघ के उद्घाटन समारोह में गोरखपुर के तत्कालीन सांसद योगी को बतौर मुख्य अतिथि आमंत्रित किया गया था। उस समय अखिलेश यादव की सरकार ने योगी आदित्यनाथ को विवि में आने से रोक दिया था।

मंगलवार को खुद को रोके जाने से नाराज अखिलेश आनन-फानन सपा कार्यालय पहुंचे और सभी एमएलसी-विधायकों की इमरजेंसी बैठक बुलाई। इसमें तय हुआ कि सरकार के इस रुख का पुरजोर विरोध किया जाएगा। इसी के बाद से प्रदेश भर में धरना प्रदर्शन शुरू हो गया। सपा मुख्यालय में अखिलेश ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर जोरदार हमला बोला। कहा कि मुख्यमंत्री याद रखें कि उनके साथ भी ऐसा हो सकता है। एक मुख्यमंत्री हिंसा को बढ़वा दे रहे हैं।
उन्होंने मुख्यमंत्री के खिलाफ तख्ती भी प्रेस कांफ्रेंस में लहराई। बोले- एक छात्र नेता के शपथ ग्रहण कार्यक्रम से सरकार इतनी डर रही है कि मुझे लखनऊ हवाई अड्डे पर रोक दिया। सरकार की नीयत साफ नहीं थी। इसीलिए हमें वहां जाने की अनुमति नहीं दी गई है जबकि हमने अपने इस कार्यक्रम को पहले 27 दिसंबर 2018 को भेजा गया था और दो फरवरी को कार्यक्रम भेज दिया था।
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