नई दिल्ली| वित्त मंत्री अरूण जेटली द्वारा संसद में आज पेश आर्थिक समीक्षा में अर्थव्यवस्था की दस नई 10 नई तस्वीरें सामने आई हैं. इसे आंकड़ों के आधार पर प्रस्तुत किया गया है जो निम्नलिखित हैं-
1-माल एवं सेवा कर (जीएसटी) ने भारतीय अर्थव्यवस्था को एक नया परिप्रेक्ष्य दिया है और बाजार के नए आंकड़े उभर कर सामने आए हैं. जीएसटी के लागू होने के बाद अप्रत्यक्ष करदाताओं की संख्या में 50 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है. इसी तरह स्वैच्छिक पंजीकरण, विशेषकर वैसे छोटे उद्यमों द्वारा कराए गए पंजीकरण में भी उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई है जो बड़े उद्यमों से खरीदारी करते हैं, क्योंकि वे स्वयं भी ‘इनपुट टैक्स क्रेडिट’ से लाभ उठाना चाहते हैं.
जीएसटी से विनिर्माण उद्योग वाले प्रमुख राज्यों का कर संग्रह गिरने की आशंका निराधार साबित हुई है. नवम्बर, 2016 में नोटबंदी के बाद व्यक्तिगत आयकर रिटर्न दाखिल करने वालों की संख्या में लगभग 18 लाख की वृद्धि दर्ज की गई है.
2-संगठित क्षेत्र, विशेषकर गैर-कृषि औपचारिक क्षेत्र में नौकरी पेशा वालों की संख्या अनुमान की तुलना में अधिक है. कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफओ) और राज्य कर्मचारी बीमा निगम योजना :ईएसआईसी: में पंजीकरण की दृष्टि से यदि रोजगार की ‘औपचारिकता’ को परिभाषित किया जाए तो औपचारिक क्षेत्र में कार्यरत गैर-कृषि श्रम बल का अनुपात लगभग 31 प्रतिशत पाया गया है. वहीं जब उपरोक्त के साथ साथ ‘औपचारिक’ रोजगार को जीएसटी में पंजीकृत इकाइयों से भी परिभाषित करें तो औपचारिक क्षेत्र में काम करने वाले लोगों की हिस्सेदारी 53 प्रतिशत पाई गई है.
3-राज्यों के अंतर्राष्ट्रीय निर्यात से जुड़े आंकड़ों को आर्थिक समीक्षा में पहली बार शामिल किया गया . इनसे निर्यात प्रदर्शन और राज्यों की आबादी के जीवन स्तर के बीच मजबूत संबंधों के संकेत मिलते हैं. वैसे राज्य जो अंतर्राष्ट्रीय निर्यात करते हैं और अन्य राज्यों के साथ व्यापार करते हैं, वे अपेक्षाकृत अधिक समृद्ध पाए गए हैं.
4-निर्यात में सबसे बड़ी कंपनियों की हिस्सेदारी अपेक्षाकृत बहुत कम पाई गई है, जबकि अन्य समतुल्य देशों में यह स्थिति विपरीत देखी जाती है. निर्यात में शीर्ष एक प्रतिशत भारतीय कंपनियों की हिस्सेदारी केवल 38 प्रतिशत आंकी गई है, जबकि ठीक इसके विपरीत कई देशों में इन शीर्ष कंपनियों की हिस्सेदारी बहुत अधिक पाई गई है. ब्राजील, जर्मनी, मेक्सिको और अमेरिका में यह हिस्सेदारी क्रमश: 72, 68, 67 और 55 प्रतिशत है.
5-राज्यस्तरीय शुल्कों में छूट (आरओएसएल) की योजपना से सिले-सिलाए परिधानों (मानव निर्मित फाइबर) का निर्यात लगभग 16 प्रतिशत बढ़ गया है, जबकि अन्य के मामलों में ऐसा नहीं देखा गया है.
6-भारतीय समाज में लड़कों के जन्म के चावत तीव्र है. एक लड़के के जन्म के चक्कर में संतानों की संख्या बढ़ जाती है.
7-समीक्षा में यह बात भी रेखांकित की गई है कि भारत में कर विभागों ने कई कर विवादों में चुनौती दी है, लेकिन इसमें सफलता की दर भी कम रही है. यह दर 30 प्रतिशत से कम आंकी गई है. लगभग 66 प्रतिशत लंबित मुकदमे दांव पर लगी रकम का केवल 1.8 प्रतिशत हैं. आर्थिक समीक्षा में यह भी बताया गया है कि 0.2 प्रतिशत मुकदमे दांव पर लगी रकम का 56 प्रतिशत हैं.
8-आंकड़ों के के आधार पर आर्थिक समीक्षा में इस ओर ध्यान दिलाया गया है बचत में वृद्धि के बजाय निवेश में वृद्धि आर्थिक वृद्धि का मुख्य कारक है.
9-भारत में राज्यों और अन्य स्थानीय सरकारों का कर संग्रह का अनुपात अन्य संघीय व्यवस्था वाले समकक्ष राष्ट्रों की तुलना में बहुत कम है. आर्थिक समीक्षा में भारत, ब्राजील और जर्मनी में स्थानीय सरकारों के प्रत्यक्ष कर-कुल राजस्व अनुपातों की तुलनात्मक तस्वीर पेश की गई है.
10-आर्थिक समीक्षा में भारतीय क्षेत्र में जलवायु परिवर्तन दर्शाने वाले स्थलों और इसके कारण कृषि पैदावार पर हुए व्यापक प्रतिकूल असर को भी रेखांकित किया गया है. तापमान में हुई अत्यधिक बढ़ोतरी के साथ-साथ बारिश में हुई कमी को भी भारतीय नक्शे पर दर्शाया गया है. इसके साथ ही इस तरह के आंकड़ों से कृषि पैदावार में हुए परिवर्तनों को भी ग्राफ में दर्शाया गया है. इस तरह का असर सिंचित क्षेत्रों की तुलना में गैर-सिंचित क्षेत्रों में दोगुना पाया गया है.