अगर आप चाहते है कि आपके बच्चे का विकास स्वस्थ तरीके से हो तो उसके लिए बच्चों के खेल खेलना बहुत ही जरुरी है। अगर आपके बच्चे किसी तरह का खेल नहीं खेलेंगे तो बच्चो के शरीर की विकास अच्छी तरह से नही होगा न ही वह सक्रिय रहेगे। ऐसे में बच्चो को मोटापा भी नही आता। एक पालक होने के नाते आपको यह जानना आवश्यक है कि बच्चों के जीवन में खेल के क्या फायदे हैं। अगर आप बच्चों को उनके बचपन में खेलने से रोक रहे हैं तो वास्तव में आप उनका बचपन उनसे छीन रहे हैं।
आजकल देखा गया है कि बहुत से स्कूलों में तो बच्चो के लिए खेलने के मैदान ही नही होते। ऐसे में आपको चाहिए कि अपने बच्चे को स्कूल के बाद खेलने के लिए भेजे। इस तरह से आप अधिक अच्छे पालक बन सकते हैं।
सामाजिक कौशल का विकास
जब आपका बच्चा खेलों में भाग लेता है तो उनमें सामाजिक कौशल का बहुत अच्छा विकास होता है। खेलों के दौरान आपका बच्चा अन्य बच्चों से मिलता है और उनसे बातचीत करता है। यह उसके समाजिक कौशल के विकास में सहायक होता है।
टीम वर्क
टीम वर्क में आपका बच्चा सीखता है कि किस प्रकार टीम की विजय में योगदान दिया जा सकता है।
मस्तिष्क का विकास
जब बच्चें किसी भी तरह का कोर्इ खेल खेलते है तो उनके शरीरिक गतिविधि तो होती ही है साथ में उनके सिर के अंदर का जो अंग है उसका विकास होता भी है जो आपके बच्चे को जल्दी सीखने और बढ़ने में सहायक होता है।
खेलों से शारीरिक विकास
खेल या अन्य शारीरिक गतिविधियों से मांसपेशियों का विकास होता है। स्वस्थ हड्डियों और मांसपेशियों के अच्छे विकास के लिए आपको बच्चे को किसी भी तरह का खेल खालने के लिए उत्साहित करना चाहिए।
इम्यूनिटी के लिए स्पोर्ट्स फायदेमंद हैं
जब आपका बच्चा खेलों में भाग लेता है तो आपके बच्चे की इम्यूनिटी बढ़ती है। इसके अलावा बच्चे को खुली हवा में छोड़ना अच्छा होता है ताकि उसे अपने आसपास के माहोल का भी पता लगेगा।
खिलाड़ी की भावना
अपने बच्चो को बताना चाहिए कि जीतना और हारना जीवन का हिस्सा है तथा आपका बच्चा इसे खेल की उन गतिविधियों के माध्यम से सीखता है जिसमें वह हिस्सा लेता है।
धैर्य
खेल की गतिविधियों से शारीरिक सहनशीलता बढ़ती है, क्योंकि प्रत्येक गेम आख़िरी तक खेला जाता है जिससे आपका बच्चा सीखता है कि अधिक समय तक गर्मी में कैसे रहा जाता है।
सहनशीलता
खेल खिलाड़ी की सहनशीलता के लिए चुनौती के समान होता है।अगर आपका बच्चा इस प्रकार के खेलों में सहभागी हो ताकि उसकी सहनशीलता बढ़ सके। शारीरिक गतिविधियों में ताकत ही सब कुछ होती है।