सरकार भारतीय सेना के स्वरूप में बदलाव की कवायद कर रही है। इसका उद्देश्य खर्च में कमी लाना और उपलब्ध संसाधनों का अधिकतम इस्तेमाल करना है। इस बारे में सुझावों की फाइल पर प्रधानमंत्री से बातचीत कर रक्षा मंत्री मनोहर पर्रीकर जल्द मुहर लगाने वाले हैं। मकर संक्रांति के बाद प्रधानमंत्री और रक्षामंत्री की बैठक होनी है। इसमें जो फैसले लिए जा सकते हैं उनमें सेना के जवानों की सेवा अवधि को दो साल बढ़ाना, गैर लड़ाकू विभागों के कुछ काम निजी कंपनियों को सौंपना और पशुपालन इकाइयों को बंद करना और तीनों सेनाध्यक्षों से वरिष्ठ नया पद सृजित करने की है। सैनिकों की सेवा अवधि में दो साल का इजाफा कर पेंशन और नए रंगरूटों के प्रशिक्षण पर होने वाले खर्च में कमी करने की योजना है।
आमतौर पर सैनिक 17 साल की सेवा के बाद रिटायर हो जाते हैं। लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायर) डॉक्टर डीबी शेकटकर की अध्यक्षता में गठित कमेटी की अनुशंसा के मुताबिक नई व्यवस्था लागू होने पर जवान और सूबेदार मेजर की रैंक तक के जूनियर कमीशन अधिकारी दो साल और काम करेंगे। इससे न सिर्फ नए जवानों के प्रशिक्षण पर होने वाला खर्च घटेगा। बल्कि जवानों की ऊर्जा का सही इस्तेमाल भी हो सकेगा। थलसेना के 10 लाख जवानों में से हर साल 60 हजार लोग रिटायर होते हैं। सुझाव लागू होने के बाद दो साल के लिए जवानों की कोई नियुक्ति नहीं करनी होगी।
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