फिल्मों में काम करने से पहले जूठे बर्तन धोते थे दिलीप कुमार

img_20161211081942नई दिल्ली  बॉलीवुड के ट्रेजडी किंग यूसुफ खान का आज 94वां जन्मदिन है।11 दिसंबर 1922 को आज ही के दिन पेशावर में दिलीप कुमार का जन्म हुआ था।

बॉलीवुड का वो दौर बहुत ही चुनिंदा लोगों को याद होगा जिसमें वो दिलीप कुमार की फिल्में सिनेमाघर के पर्दे पर देखते थे। दिलीप कुमार की अदाकारी और उनके डॉयलॉग बोलने का अंदाज लोगों को उनका दीवाना बना देता था। उनके हर संवाद पर मानों तालियों की गूंज से सिनेमाघर गूंजने लगता था।
इन दिनों उनकी तबीयत दुरूस्त नहीं है वे अस्पताल में अपना इलाज करवा रहे है लेकिन उनका हर फैन उनके लिए दुआ जरूर कर रहा होगा। दिलीप कुमार के बारे में जितना कहा जाए उतना ही कम है उनका बॉलीवुड में अमर योगदान है जिसे कोई नहीं भुला सकता। उनके जन्मदिन के मौके पर हम आपको उनकी जिंदगी से जुड़ी कुछ खास बातें बताने जा रहे है।
फल बेचते थे पिता
बॉलीवुड इंडस्ट्री में कुछ लोग ऐसे है जो खानदानी फिल्म स्टार है लेकिन दिलीप कुमार के साथ ऐसा कुछ नहीं है। उनका जन्म 11 दिसंबर 1922 में पाकिस्तान के पेशावर में हुआ था। दिलीप कुमार का वास्तविक नाम मुहम्मद युसुफ़ खान है। उनके पिता लाला ग़ुलाम सरवर थे जो फल बेचकर परिवार का खर्च चलाते थे।
घर छोड़कर किया कैंटीन में काम
भारत और पाकिस्तान के विभाजन होने के कारण उनका परिवार मुंबई आकर बस गया। साल 1940 के दौरान दिलीप कुमार अपने परिवार को छोड़कर पुणे चले गए। यहां पर उनकी मुलाकात एक ईरानी कैफे मालिक से हुई जो उनके स्टाइल, बोलने के अंदाज़ और उनकी इंग्लिश से प्रभावित हुआ। मालिक ने उन्हें सैंडविच स्टॉल संभालने की नौकरी दे दी।
अशोक कुमार हुए थे प्रभावित
साल 1942 में अचानक पिता के फाइनेंस के मामले में वे मुंबई गए और चर्चगेट पर उनकी मुलाक़ात डॉ. मानसी से हुई जो उन्हें मलाड के बॉम्बे टॉकीज़ ले गई। बॉम्बे टॉकीज़ में जब दिलीप कुमार को देविका रानी ने देखा तो कंपनी की ओर से उन्हें एक्टिंग करने का ऑफर दिया। यहीं दिलीप कुमार एक्टर अशोक कुमार और शशधर मुखर्जी से मिले जो उनसे काफी प्रभावित हुए।
देविका रानी ने बदलवाया था नाम
युसुफ़ खान, दिलीप कुमार कैसे बने इस बात को लेकर आपके दिमाग में सवाल होगा तो आपको बता दें कि अपने करियर की शुरूआत में ही देविका रानी ने युसुफ़ खान से कहा कि वो अपना नाम बदलकर दिलीप कुमार रख ले। तब से ही उनका फिल्मों में नाम दिलीप कुमार रखा गया। उनकी पहली फिल्म ‘ज्वारभाटा’ थी जो 1944 में आई थी।
जुगनू थी पहली हिट फिल्म
हर एक्टर के लिए पहली फिल्म में हिट होना एक बहुत बड़ी चुनौती होती है। दिलीप कुमार भी अपनी पहली फिल्म में हिट नहीं हो पाए थे लेकिन साल 1997 में आई उनकी फिल्म ‘जुगनू’ सुपरहिट हो गई। इस फिल्म के बाद दिलीप कुमार का एक्टिंग करियर चल पड़ा। इसके बाद दिलीप कुमार ने एक के बाद सुपरहिट फिल्में देकर दर्शकों के दिल में जगह बनाई।
गंभीर भूमिकाओं ने दिलाई पहचान
दिलीप कुमार ने एक ओर जहां रोमांटिक एक्टर की भूमिका को बेहतरीन तरीके से निभाया वहीं दूसरी ओर उन्होंने गंभीर भूमिकाए इतनी बेहतरीन तरीके से निभाई की लोग उनके दीवाने हो चले। उन्हें ट्रेजडी किंग कहा जाने लगा। फिल्म देवदास, अंदाज, दीदार, मुगल-ए-आजम जैसी फिल्मों ने उन्हें ट्रेजडी किंग बना दिया।
पहला प्यार नहीं है सायरा बानो
दिलीप कुमार का निकाह सायरा बानो के साथ हुआ था और आज भी ये जोड़ी एक-दूसरे के साथ है। वैसे दिलीप कुमार का पहला प्यार सायरा बानो नहीं है उनका पहला प्यार तो एक्ट्रेस कामिनी कौशल थी। इसके बाद उन्हें मधुबाला से प्यार हुआ और इसके बाद वैजंतीमाला से भी उनका नाम जोड़ा गया लेकिन इन सबके बाद उनका निकाह हुआ सायरा बानो से।
पाकिस्तान ने भी किया सम्मानित
साल 1993 में बॉलीवुड में योगदान के लिए उन्हें फिल्मफेयर लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड से भी नवाज़ा गया था। साल 1991 में उन्हें पद्म भूषण और 1994 में दादा साहेब फाल्के जैसे प्रतिष्ठित अवार्ड से भी नवाज़ा गया था। पाकिस्तान की सरकार ने उन्हें निशान-ए-इम्तियाज की उपाधि दी थी जो पाकिस्तान के उच्च नागरिक को दी जाती हैं।दिलीप कुमार का जीवन भी किसी फिल्म के हीरो से कम नहीं है अपनी ज़िन्दगी में उन्होंने संघर्ष किया और तब जाकर कही अपना मुकाम बनाया। आज जिस एक्टर को हम ट्रेजेडी किंग कह पाए है वो बनना किसी के लिए इतना आसान भी नहीं है। उनके जन्मदिन पर हम जल्द ही स्वस्थ होने की कामना करते है।

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