फिल्में छोड़ संन्यासी बन गए थे विनोद खन्ना, कमबैक भी रहा जानदार

विनोद खन्ना बॉलीवुड के ऐसे एक्टर रहे हैं जिन्होंने अपनी एक्टिंग से लोगों को अपना दिवाना बनाया। उनका लुक तो चार्मिंग था ही, लेकिन उनकी अदायगी और डॉयलॉग डिलिवरी ऐसी थी कि लोग सीटियां बजाए नहीं रहते थे। लेकिन क्या आप जानते हैं कि सफलता के चरम पर रहते हुए भी विनोद खन्ना फिल्में छोड़ ओशो की शरण में चले गए थे ?फिल्में छोड़ संन्यासी बन गए थे विनोद खन्ना, कमबैक भी रहा जानदारये बात तब की है जब विनोद खन्ना की गिनती सफल एक्टर्स में होती थी। उसी बीच उनकी मां का निधन हो गया जिससे वो बहुत डिस्टर्ब हो गए। इसी दौरान उनकी मुलाकात आचार्य रजनीश (ओशो) से हुई। वो उनसे इतने प्रभावित हुए कि अचानक से फिल्मी करियर से संन्यास ले लिया। संन्यास के वक्त विनोद शादीशुदा थे।

उनके दो बेटे अक्षय व राहुल थे। संन्यास के फैसले के बाद उन्होंने पत्नी गीतांजली से तलाक ले लिया और अमेरिका जाकर ओशो के आश्रम में रहने लगे। वे आश्रम में बगीचे के माली बन गए। ओशो ने उन्हें स्वामी विनोद भारती नाम दिया था।

विनोद खन्ना का फिल्मों में आना भी काफी दिलचस्प रहा। उनके पिता चाहते थे कि वो बिजनेसमैन बनें, लेकिन विनोद खन्ना एक्टर बनना चाहते थे। लेकिन जब विनोद ने अपने इस सपने के बारे में पिता को बताया तो वो भड़क गए और उन्हें गोली मारने की धमकी दे डाली।

ये बात तब की है जब विनोद खन्ना ने अपने पिता को अपने एक्टर बनने के सपने के बारे में बताया। विनोद खन्ना की ये बात सुनकर उनके पिता भड़क गए क्योंकि वो चाहते थे कि उनकी तरह ही और उन पर बंदूक तानते हुए बोले, ‘अगर तुम फिल्मों में गए तो तुम्हें गोली मार दूंगा।’बाद में विनोद खन्ना की माँ के समझाने के बाद उन्हें दो साल तक फिल्मों में काम करने की इजाजत दी।

विनोद खन्ना का जन्म पाकिस्तान के पेशावर में एक पंजाबी परिवार में हुआ था। उनके पिता एक टेक्सटाइल व्यापारी थे।बचपन में विनोद खन्ना काफी शर्मीले स्वभाव के थे। बचपन में स्कूल के दौरान एक टीचर ने उन्हें एक नाटक में जबरदस्ती उतार दिया था। उस समय उन्हें विनोद खन्ना की एक्टिंग काफी पसंद आई।

बनना चाहते थे इंजीनियर

विनोद खन्ना एक इंजीनियर बनना चाहते थे। उनके पिता उन्हें बिजनेसमैन बनाना चाहते थे। जबकि किस्मत को कुछ और ही मंजूर था। विनोद अभिनेता बने, फिर सन्यासी बने, फिर अभिनेता बने और अब नेता हैं। 

कॉलेज की दोस्त से की शादी

कॉलेज के दिनों में विनोद खन्ना काफी हैंडसम दिखते थे। कॉलेज के दिनों से उनका रुझान फिल्मों की ओर हो गया था। वे थियेटर करते थे। इसी दौरान उनकी मुलाकात गीतांजली से हुई, जिससे आगे चलकर उन्होंने शादी की। 

पहली फिल्म में बने विलेन

किस्मत से विनोद खन्ना की मुलाकात एक पार्टी में निर्माता और निर्देशक सुनील दत्त से हुई। सुनील दत्त उन दिनों फिल्म ‘मन का मीत’ के लिए एक नए चेहरे की तलाश कर रहे थे। सुनील दत्त ने उन्हें विलेन का रोल ऑफर किया। जिसे विनोद खन्ना ने स्वीकार कर लिया। उनकी पहली फिल्म ‘मन का मीत’ 1968 में रिलीज़ हुई थी। ये फिल्म बॉक्स ऑफिस पर सुपरहिट साबित हुई थी। उनकी एक्टिंग को काफी सराहा गया। इसके बाद वे कई फिल्मो में बतौर विलेन ही काम करने लगे।

विनोद खन्ना ने अपने करियर के शुरूआती दिनों में विलेन के रोल निभाए लेकिन लेकिन वे दिखने में काफी हैंडसम थे। इसके बाद उन्हें गुलजार ने हीरो का रोल ऑफर किया। इसके बाद उनका करियर हीरो के रूप में चल पड़ा। वे एक के बाद एक सुपरहिट फिल्में देने लगे।

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