लखनऊ। इन्वेस्टर्स समिट के बहाने कुछ सियासी तीर निशाने पर भी होंगे। अब मौसम धीरे-धीरे चुनावी होने लगा है। ऐसे उद्यमियों की तरह राजनीतिक दलों को भी उत्तर प्रदेश से सर्वाधिक कारोबार की उम्मीदें हैं। लिहाजा उप्र को केंद्र मानकर सभी राजनीतिक दल अपने उत्पादों की पैकेजिंग और ब्रांडिंग कर रहे हैं। 21-22 फरवरी को यहां इन्वेस्टर्स समिट सत्ता दल के लिए बड़ा मौका है। केंद्र और प्रदेश में भाजपा की ही सरकार है। राजनीतिक रूप से उप्र सर्वाधिक अहम है। ऐसे में केंद्र सरकार के कुछ मंत्रालय समिट के पहले या समिट के दौरान उप्र के लिए बड़े निवेश की घोषणा कर सकते हैं।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ खुद इसके लिए पूरी शिद्दत से लगे हैं। दो फरवरी की दिल्ली यात्रा के दौरान उन्होने रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण और केंद्रीय वस्त्र मंत्री स्मृति इरानी से मुलाकात की थी। 10 फरवरी को दिल्ली यात्रा के दौरान सीएम केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान से मिलेंगे। माना जा रहा है कि इन मुलाकातों के दौरान मुख्यमंत्री इनसे समिट में आने के साथ किसी बड़े निवेश का भी अनुरोध करेंगे।
तैयारियों को पूरा समय देंगे योगी
पांच साल में पांच लाख करोड़ रुपये का निवेश। 20 लाख नौकरियों का चुनौतीपूर्ण लक्ष्य। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली समेत अन्य केंद्रीय मंत्रियों और देश के दिग्गज उद्योगपतियों के आगमन के मद्देनजर इन्वेस्टर्स समिट सरकार के लिए प्रतिष्ठा का सवाल है। समिट को सफल बनाने के लिए मुख्यमंत्री 15 से 22 फरवरी तक लखनऊ में ही रहेंगे। इस दौरान वह पूरी ऊर्जा समिट की तैयारियों की निगरानी में ही लगाएंगे।
न्यायसंगत तो तुरंत हल करें: सीएम
मुख्यमंत्री ने बताया कि अधिकारियों को साफ निर्देश है कि निवेशकों से संबंधित मामला चाहे किसी भी सरकार के समय का हो, अगर वह न्यायसंगत है तो उसे लंबित नहीं रहना चाहिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकारें आती-जाती रहती हैं। साख सबसे बड़ी चीज है। इससे कोई समझौता स्वीकार्य नहीं। अगर किसी उद्यमी ने किसी ऐसे मामले की शिकायत की जो उचित होते हुए भी लंबित है तो संबंधित अधिकारी की जवाबदेही तय होगी।