पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की अस्थियां मंगलवार रात हरकी पैड़ी ब्रह्मकुंड से गंगा में विसर्जित की गईं। नम आंखों के साथ बेटे अभिजीत और इंद्रजीत ने पिता प्रणब मुखर्जी को अंतिम विदाई दी। अस्थि विसर्जन के दौरान बेटे अभिजीत भावुक हो गए।
दिल्ली में अंतिम संस्कार होने के बाद मंगलवार रात को बेटे अभिजीत, इंद्रजीत और भद्रकाली पीठाधीश्वर सत्यपाल समेत कई अन्य लोग पूर्व राष्ट्रपति की अस्थियां लेकर हरकी पैड़ी पहुंचे। यहां पहले से मौजूद कांग्रेसियों ने उनके चित्र पर पुष्प चढ़ाकर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। ब्रह्मकुंड पर श्री गंगा सभा के सभापति ठेकेदार कृष्ण कुमार शर्मा, पंडित दीपक और मनीष शर्मा ने कर्मकांड संपन्न कराया और अस्थियां गंगा में प्रवाहित की गईं। गंगा स्नान के बाद बेटे श्री गंगा सभा के कार्यालय में पहुंचे, जहां उन्होंने तीर्थ पुरोहित की बही में एंट्री कराई।
दादा ने कहा था- हरिद्वार में करना चाहिए अस्थि विसर्जन
मीडिया से बातचीत करते हुए बेटे अभिजीत मुखर्जी भावुक हो गए। उन्होंने हरकी पैड़ी पर अस्थि विसर्जन करने का कारण बताया। उन्होंने बताया कि कई वर्ष पूर्व उनके दादा ने पिता प्रणब मुखर्जी को कहा था कि अस्थियां गंगा में ही प्रवाहित की जानी चाहिए, इसके लिए उचित स्थान उन्होंने हरकी पैड़ी बताया था। तभी से परिवार की गंगा में आस्था है। 2015 में पूर्व राष्ट्रपति की पत्नी की अस्थियां भी हरिद्वार हरकी पैड़ी से ही गंगा में प्रवाहित की गई थीं। उन्होंने बताया कि वह अक्सर पिता के साथ गंगा में स्नान किया करते थे।
हमारे यहां घर में नहीं रखते अस्थियां
दाह संस्कार के कुछ ही घंटों बाद पूर्व राष्ट्रपति की अस्थियां हरिद्वार लाई गईं। इस पर जब मीडिया ने बेटे अभिजीत से पूछा तो उन्होंने बताया कि उनके यहां अस्थियां घर में नहीं रखी जाती। इसी कारण वह तत्काल हरिद्वार अस्थियां लेकर आए हैं।
मां और पिता दोनों का अगस्त में निधन
बेटे अभिजीत ने बताया कि 2015 को 18 अगस्त के दिन उनकी माता का निधन हुआ था और 31 अगस्त को उनके पिता का निधन हो गया है।