देहरादून: उत्तराखंड सरकार चार धाम यात्रा के पुराने पैदल मार्गों का पुनरुद्धार करेगी। इन रास्तों को पुनर्जीवित करने के लिए पुराने दस्तावेजों का सहारा लिया जा रहा है। पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री सतपाल महाराज ने यह जानकारी देते हुए कहा कि योजना पर काम चल रहा है। लुप्त हो चुकी चट्टियों (पैदल मार्ग पर बने रात्रि विश्राम स्थल) की पहचान की जा रही है। कहा कि पैदल यात्रा से श्रद्धालुओं को तो नया अनुभव मिलेगा ही, स्थानीय लोगों की आर्थिकी में भी यह मील का पत्थर साबित होगी।
इसके अलावा पहाड़ी व्यंजनों को पांच सितारा होटल के मैन्यू में स्थान दिलाया जा रहा है। उत्तराखंड में पर्यटन विकास में सुदूर संवेदन तकनीक एवं भौगोलिक सूचना तंत्र के उपयोग को लेकर वाडिया भू-विज्ञान संस्थान में दो दिवसीय सेमीनार का शुभारंभ करते हुए पर्यटन मंत्री ने कहा कि पर्यटन सर्किट के रूप में शक्ति, सिद्धपीठ सर्किट के अलावा वैष्णव सर्किट पर काम चल रहा है।
उन्होंने कहा कि देव दर्शन, गंगा दर्शन, प्रकृति के नजारे समेत अन्य व्यू प्वाइंट पर आधारित पर्यटन विकास के लिए भी योजना बनाई जा रही है। उन्होंने कहा कि टिहरी झील में मिनी क्रूज चलाने, धामों में वर्षों पुरानी पंडा-पुरोहितों की खाता-बही को तकनीक से जोड़ा जाएगा। कहा कि विंटर डेस्टिनेशन को लेकर भी काम चल रहा है।
इस मौके पर मुख्यमंत्री के वैज्ञानिक सलाहकार डॉ. नरेंद्र सिंह ने पर्यटन में तकनीकी की उपयोगिता व संभावनाओं को लेकर योजना बनाने का भरोसा दिलाया। इससे पहले उत्तराखंड अंतरिक्ष उपयोग केंद्र (यूसैक ) के निदेशक एमपीएस बिष्ट ने पर्यटन के क्षेत्र में किए जाने वाले कार्यों की जानकारी दी।
पर्यटन विकास में वैज्ञानिक दृष्टिकोण अहम
पद्मभूषण एवं पर्यावरणविद चंडी प्रसाद भट्ट ने कहा कि प्रदेश में पर्यटन के क्षेत्र में समझ बढ़ाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि पर्यटन के विकास में वैज्ञानिक दृष्टिकोण निश्चित ही लाभकारी होगा। कहा कि आधुनिक विकास में सुविधाएं तो ठीक हैं, मगर रोजगार, आर्थिकी और पर्यावरण पर पडऩे वाले प्रभावों का अध्ययन जरूरी है।
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