पेट्रोल की बढ़ती कीमतों पर नितिन गडकरी ने दी सलाह, वैकल्पिक ईंधन तलाशने की जरूरत

 देश भर में लगातार बढ़ रही पेट्रोल की कीमतों पर केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि अब देश में वैकल्पिक ईंधन ढूंढने का समय आ गया है. नितिन गडकरी ने मंगलवार को कहा कि मेरा सुझाव यह है कि यह देश के लिए वैकल्पिक ईंधन के लिए जाने का समय है. मैं पहले से ही बिजली को ईंधन के रूप में प्रचारित कर रहा हूं क्योंकि भारत में अधिशेष बिजली है. गडकरी ने कहा कि हम भारत में 81% लिथियम आयन बैटरी बना रहे हैं. लिथियम आयन के विकल्प के लिए मेरे मंत्रालय ने आज पहल की. सभी सरकारी प्रयोगशालाएँ अनुसंधान का संचालन कर रही हैं. मंत्रालय भी हाइड्रोजन ईंधन कोशिकाओं को विकसित करने की कोशिश कर रहा है.

बता दें कि सोमवार की अपडेट के मुताबिक कच्चे तेल की अंतरराष्ट्रीय दरों में वृद्धि के बीच देश में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में लगातार सातवें दिन बढ़ोतरी हुई. इससे देश में ईंधन की खुदरा कीमतें नये उच्च स्तर पर पहुंच गयीं. दिल्ली में पेट्रोल 89 रुपये पर पहुंच गया, जबकि राजस्थान में यह शतक मारने की दहलीज पर जा पहुंचा है. सरकारी तेल विपणन कंपनियों की कीमत अधिसूचना के अनुसार, सोमवार को पेट्रोल की कीमत में 26 पैसे प्रति लीटर और डीजल में 29 पैसे प्रति लीटर की वृद्धि हुई. इससे दिल्ली में पेट्रोल की कीमत 88.99 रुपये प्रति लीटर और मुंबई में अब तक की सबसे ऊंची दर 95.46 रुपये प्रति लीटर हो गयी.

देश में ईंधन पर सबसे अधिक मूल्य वर्धित कर (वैट) वसूलने वाले राज्य राजस्थान में पेट्रोल और डीजल की कीमतें सबसे अधिक हैं. राज्य के श्रीगंगानगर शहर में पेट्रोल 99.56 रुपये और डीजल 91.48 रुपये प्रति लीटर तक पहुंच गया.

कांग्रेस ने साधा निशाना
कांग्रेस ने पेट्रोल एवं डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी को लेकर मंगलवार को सरकार पर देश की जनता से 20 लाख करोड़ रुपये वसूलने का आरोप लगाया और कहा कि पेट्रोलियम उत्पादों पर पिछले साढ़े छह वर्षों के दौरान उत्पाद शुल्क में की गई वृद्धि को वापस लिया जाए ताकि लोगों को राहत मिल सके.

पार्टी प्रवक्ता पवन खेड़ा ने कहा ‘‘अगर सरकार ‘मोदी टैक्स’ रूपी अतिरिक्त उत्पाद शुल्क को वापस लेती है तो दिल्ली में पेट्रोल की कीमत घटकर 61.92 रुपये प्रति लीटर और डीजल की कीमत 47.51 रुपये प्रति लीटर हो जाएगी. ’’

उन्होंने पेट्रोल-डीजल पर उत्पाद शुल्क का तुलनात्मक आंकड़ा पेश करते हुए दावा किया कि सरकार लगातार भावनात्मक मुद्दे गढ़ती है ताकि लोगों का ध्यान पेट्रोल-डीजल एवं रसोई गैस की बढ़ती कीमतों की ओर नहीं जाए.

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