पहली बार उल्कापिंडों में वैज्ञानिकों को ‘शुगर मॉलीक्यूल’ की उपस्थिति का प्रमाण मिला है. धरती पर जीवन की शुरुआत होने में ‘शुगर मॉलीक्यूल’ की अहम भूमिका मानी जाती है. इस खोज से पृथ्वी पर जीवन पनपने में उल्कापिंडों की भूमिका को मजबूती मिली है। पीएनएएस जर्नल में प्रकाशित अध्ययन में कहा गया है कि जैविक प्रक्रिया के लिए शर्करा (शुगर) महत्वपूर्ण है.
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार पृथ्वी पर शुगर मॉलीक्यूल आने से ही कुछ शुरुआती जटिल जैविक अणुओं का निर्माण हुआ होगा. जापान की तोहोकु यूनिवर्सिटी के योशिहिरो फुरकावा सहित अन्य शोधकर्ताओं ने तीन गैर धात्विक और कार्बन की अधिकता वाले उल्कापिंडों का विश्लेषण किया. इनमें से एक मार्चिसन उल्कापिंड है, जो 1969 में ऑस्ट्रेलिया में गिरा था.
इन उल्कापिंडों में अध्ययन में राइबोस के रूप में शुगर मॉलीक्यूल पाया गया. राइबोस विशेष रूप से हमारे राइबोन्यूक्लिक एसिड (आरएनए) का मूल घटक होता है. शोधकर्ताओं ने बताया कि महत्वपूर्ण बात यह है कि उल्कापिंडों में पाए गए राइबोस का निर्माण अंतरिक्ष में हुआ था. उन्होंने अंतरिक्ष में इस शुगर मॉलीक्यूल की संभावित निर्माण प्रक्रिया का प्रयोगशाला में कंप्यूटर सिमुलेशन भी किया.