वाशिंगटन। अमेरिका में पाकिस्तान के राजदूत रहे हुसैन हक्कानी ने अपने मुल्क की सेना की करतूतों को बेनकाब किया है। हक्कानी का कहना है कि यह पाकिस्तान की सेना ही थी जिसने अफगानिस्तान में आग लगाई और अब उस आग को बुझाने की कवायद का हिस्सा भी बनना चाहती है।
हक्कानी ने यहां एक कार्यक्रम में कहा, ‘पाकिस्तान शीतयुद्ध के समय अमेरिका का उपयुक्त सहयोगी था। लेकिन भारत से होड़ ही पाकिस्तान का मुख्य मकसद बन जाए, यह अमेरिका का उद्देश्य नहीं था। इसलिए इस क्षेत्र में अमेरिका और पाकिस्तान के हित वास्तव में मेल नहीं खाते।
एक अन्य उद्देश्य को कम आंका गया जो यह है कि अमेरिका कुछ स्थितियों में इस क्षेत्र को छोड़ना चाहता है और चाहता है कि मजबूत और स्थिर अफगान सरकार को कमान सौंपी जाए, जिसे रोजाना तालिबान का सामना ना करना पड़े। लेकिन समस्या यह है कि पाकिस्तानी सेना तालिबान को पालती है और अमेरिका से भी कहती है कि वह लड़ाई में उसकी मदद करेगी। वे आग लगाते हैं और इसे बुझाने की कवायद का हिस्सा भी बनना चाहते हैं।’
पाकिस्तान में अमेरिकी दूत रह चुके बिल मिलाम ने इसी कार्यक्रम में कहा कि सेना पाकिस्तान की राजनीति का प्रमुख कारक है। जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी के डैन मार्के ने भी कहा कि हाल के वर्षो में पाकिस्तानी सेना ने असैन्य सरकार पर दबाव बनाने के लिए तमाम तरह के हथकंडे अपनाए हैं।