पूरा जीवन आरएसएस और बीजेपी को समर्पित किया भगत सिंह कोश्यारी ने

महाराष्ट्र के बदलते राजनीतिक समीकरण में राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के हाथ में प्रदेश की सत्ता का फैसला है. महाराष्ट्र में सरकार गठन के लिए राज्यपाल कोश्यारी के निमंत्रण देने के बावजूद बीजेपी ने अपने कदम पीछे खींच लिए हैं. जबकि, शिवसेना तय समय सीमा में 145 विधायकों का समर्थन पत्र राज्यपाल को नहीं दे पाई. इसके चलते गवर्नर ने महाराष्ट्र की तीसरी सबसे बड़ी पार्टी एनसीपी को सरकार बनाने का निमंत्रण दिया है. ऐसे में एनसीपी भी बहुमत का दावा पेश करने में सफल नहीं होती है तो महाराष्ट्र का सियासी संकट सुलझाने के लिए कदम उठाने की जिम्मेदारी कोश्यारी पर ही होगी.

भगत सिंह कोश्यारी का जन्म 17 जून 1942 को उत्तराखंड के बागेश्वर जिले स्थित नामती चेताबागड़ गांव में हुआ था. महाराष्ट्र के राज्यपाल की जिम्मेदारी संभाल रहे कोश्यारी बीजेपी को उत्तराखंड में स्थापित करने वाले उन नेताओं में शुमार किया जाता है.

उन्होंने अपना पूरा जीवन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) और बीजेपी को समर्पित किया है. उन्होंने अपनी प्रराम्भिक शिक्षा अल्मोड़ा में पूरी की और उसके पश्चात उन्होंने आगरा यूनिवर्सिटी से अंग्रेजी साहित्य में पढ़ाई की है. कोश्यारी भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव रहने के अलावा उत्तराखंड भाजपा के पहले अध्यक्ष भी रहे.

भगत सिंह कोश्यारी ने छात्र जीवन से राजनीति में कदम रख दिया था. 1961 में कोश्यारी अल्मोड़ा कॉलेज में छात्रसंघ के महासचिव चुने गए. इंदिरा गांधी के द्वारा देश में 1975 में लगाए गए आपातकाल का कोश्यारी ने विरोध किया, जिसके चलते उन्हें करीब पौने दो साल तक जेल में रहना पड़ा. 23 मार्च 1977 को रिहा हुए, जिससे उन्हें राजनीतिक पहचान मिली.

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