पीसीएस प्रारंभिक-2017: परीक्षा केंद्र के लिए तीन विकल्प लेने की तैयारी

पीसीएस प्रारंभिक परीक्षा-2017 के परीक्षा केंद्र आवंटन को लेकर हुए विवाद के बाद उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (यूपीपीएससी) की ओर से सफाई दी गई है कि परीक्षा केंद्र आवंटन प्रतियोगियों की सहूलियत को ध्यान में रखकर किए गए हैं।पीसीएस प्रारंभिक-2017: परीक्षा केंद्र के लिए तीन विकल्प लेने की तैयारीअभी-अभी: यादव परिवार में एक और मेहमान की हुई एंट्री….

साथ ही प्रतियोगियों की मांग पर केंद्र के लिए उनसे तीन विकल्प मांगे जाने पर भी विचार किया जा रहा है। आयोग ने प्रतियोगियों के उन आरोपों को भी खारिज किया है, जिसमें कहा गया था कि पूर्व अध्यक्ष अनिल यादव अब भी आयोग परिसर में आ रहे हैं। कुछ सफल छात्र आयोग परिसर में रहने वाले सदस्यों के आवास पर उनसे मिलने आ रहे हैं।

पीसीएस-प्री परीक्षा 24 सितंबर को प्रस्तावित है। इसके बाद भी प्रतियोगियों को दूसरे जिलों में केंद्र आवंटित किए गए हैं। प्रतियोगी आरोप लगा रहे थे कि आयोग ने पूर्व की भांति इस बार भी केंद्रों का आवंटन दूरदराज के शहरों में कर दिया है।

इससे प्रतियोगियों को दिक्कत होगी। इस पर आयोग के मीडिया प्रभारी सुरेंद्र उपाध्याय का कहना है कि इस बार परीक्षा केंद्र अधिकतम 200  किमी की दूरी तक ही आवंटित किए गए हैं।

इलाहाबाद के प्रतियोगियों के परीक्षा केंद्र लखनऊ, वाराणसी और कानपुर में आवंटित किए गए हैं, जबकि पिछली बार आगरा और मैनपुरी जैसे जिलों में भी केंद्र आवंटित किए गए थे, जिनकी इलाहाबाद से दूरी 400 किमी से भी अधिक है।

मीडिया प्रभारी ने बताया कि प्रतियोगियों की मांग के मद्देनजर यूपीपीएससी संघ लोक सेवा आयोग की तर्ज पर केंद्र आवंटन के लिए प्रतियोगियों से तीन जिलों का विकल्प मांगे जाने की व्यवस्था को लागू करने पर विचार कर रहा है। हालांकि, इस पर अभी कोई निर्णय नहीं हुआ है।

मीडिया प्रभारी ने प्रतियोगियों के इस आरोप को खारिज किया है कि पूर्व अध्यक्ष अनिल यादव अब भी आयोग परिसर में आ रहे हैं। उनका दावा है कि अनिल यादव जब से यहां से गए हैं, लौट कर नहीं आए।

यहां तक कि उनके सरकारी आवास छोड़ने के बाद परिवार वाले ही यहां रखा सामान लेने आए थे। वहीं, आयोग परिसर में रहने वाले जिन सदस्यों के घर पर सफल प्रतियोगियों के आने-जाने का आरोप लगाए जा रहे हैं, उनके यहां अगर कोई रिश्तेदार भी आता है तो बिना पास उसे भी आयोग परिसर में प्रवेश की अनुमति नहीं दी जाती।

आयोग के गेट नंबर दो पर सीसीटीवी कैमरा भी लगा हुआ है, जबकि बाकी गेट बंद रहते हैं। आयोग परिसर में प्रवेश करने वाले हर शख्स पर पैनी नजर रखी जाती है।

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