नई दिल्ली। दावोस में शुरू हुए वर्ल्ड इकॉनमिक फोरम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विश्व के समक्ष तीन बड़ी चुनौतियां रखीं। ये चुनौतियां किसी एक देश की नहीं बल्कि सभी देशों की साझा हैं। लिहाजा उन्होंने इसके लिए पूरे विश्व से एकजुट होकर काम करने की भी अपील की। पीएम मोदी द्वारा बताई गई इन चुनौतियों में सबसे पहली थी आतंकवाद, दूसरी थी क्लाइमेट चेंज और तीसरी थी साइबर सुरक्षा। इसके अलावा उन्होंने अपने भाषण में देश में हो रहे विकास और यहां पर निवेश को लेकर दी गई सहूलियतों का भी जिक्र किया।
उन्होंने वहां मौजूद विश्व के निवेशकों से कहा कि भारत में निवेश का उचित अवसर है। सरकार ने भारत में इसके लिए पूर्व की जटिल प्रक्रियाओं को अब बेहद सरल बना दिया है। उन्होंने यह भी कहा कि भारतीय बाजार में निवेश आज पूरे विश्व की जरूरत है, जिसका उन्हें फायदा उठाना चाहिए। पीएम मोदी ने कहा कि हम भारतीय अपने लोकतंत्र और विविधता पर गर्व करते हैं। धार्मिक, सांस्कृतिक, भाषाई और कई तरह की विविधता को लिए समाज के लिए लोकतंत्र महज राजनीतिक व्यवस्था ही नहीं, बल्कि जीवनशैली की एक व्यवस्था है।
1997 से अब कई गुणा बढ़ चुकी है भारतीय अर्थव्यवस्था
पीएम मोदी ने कहा कि भारत के प्रधानमंत्री की यात्रा 1997 में हुई थी, जब पूर्व प्रधानमंत्री देवगौड़ा आए थे. तब भारत की जीडीपी 4 मिलियन डॉलर के करीब था। अब दो दशक बाद करीब 6 गुना ज्यादा है. उन्होंने कहा कि आज हम नेटवर्क सोसाइटी नहीं, बल्कि बिग डेटा की दुनिया में जी रहे हैं। 1997 में यूरो मुद्रा नहीं थी। उस वक्त न ब्रेक्जिट के आसार थे।
उस वक्त बहुत कम लोगों ने ओसामा बिन लादेन का नाम और हैरी पॉटर का नाम सुना था। उस वक्त लोगों को शतरंज के खिलाड़ियों को क्प्यूटर के गेम से हारने का खतरा नहीं था। उस वक्त गूगल का आविष्कार नहीं था। उस वक्त अगर आप अमेजन का नाम नेट पर ढूंढटे तो नदियों का नाम और चिड़ियों का नाम मिलता। उस वक्त ट्वीट करना चिड़ियों का काम था। मगर आज दो दशक काफी कुछ बदल गया है। लेकिन दावोस तब भी आगे था और आज भी आगे है।
साइबर सुरक्षा
पीएम मोदी ने कहा कि आज डेटा बहुत बड़ी संपदा है। आज डेटा के पहाड़ के पहाड़ बनते जा रहे हैं। उस पर नियंत्रण की होड़ लगी है। आज कहा जा रहा है कि जो डेटा पर अपना काबू रखेगा वही दुनिया में अपना ताकत कायम रखेगा। आज तेजी से बदलती तकनीक और विनाशकारी कार्यों से पहले से चली आ रही चुनौतियां और भी गंभीर होती जा रही है। उन्होंने कहा कि शांति, स्थिरता सुरक्षा अभी भी गंभीर चुनौती बने हुए हैं। इस वक्त हमारे सामने कई ऐसे सवाल हैं, जो मानवता और समुची पीढि़यों के लिए समुचति जवाब मांगते हैं। ये कौन सी शक्तियां हैं, जो सामंजस्य के ऊपर अलगाव को तहजीह देती है। वो कौन से साधन और रास्ते हैं, जिनके जरिये हम दरारों और दूरियों को मिटाकर एक सुहाने और सांझा भविष्य के सपने को साकार कर सकते हैं।
भारत भारतीयता और भारतयी विरासत का प्रतिनिधि होने के नाते , मेरे लिए इस फोरम का विषय जिनता समकालीन है, उतना ही समयातीत भी है। समयातीत इसलिए क्योंकि भारत में अनादी काल से हम मानव मात्र को जोड़ने में विश्वास करते आएं उसे तोड़ने में नहीं, बांटने में नहीं। हजारों साल पहले संस्कृत में लिखा है कि भारतीय चिंतकों ने कहा है कि वसुधैव कटुंबकम यानी पूरी दुनिया एक परिवार है। इसलिए हम सब एक परिवार की तरह हैं। हमारी नियति में एक साझा सूत्र हमें जोड़ती है। वसुधैव कुंटुंबकम आज दरारों और दूरियों को मिटाने के लिए सार्थक और प्रांसगिक है।
सहमति का आभाव
मगर आज एक एक कारण है कि इस विकट स्थिति से निकलने के लिए सहमति का आभाव है। परिवार में भी जहां एक ओर सद्भाव और सामंजस्य होता है। उन्होंने कहा कि दोस्तों मैं जिन चुनौतियों की ओर इशारा कर रहा हूं, उसका विस्तार बहुत व्यापक है। मैं यहां तीन प्रमुख चुनौतियों को जिक्र करना चाहता हूं। जो मानव सभ्यता के लिए खतरा पैदा कर रहा है।
पहला खतरा- जलवायु परिवर्तन, द्वीप डूब रहे हैं, बहुत गर्मी और बहुत ठंड, बेहद बारिश और बेहद सूखा का प्रभाव दिन-ब-दिन बढ़ रहा है। दावोस में जो बर्फ पड़े हैं, वो 20 साल बाद हुआ है। आर्कटिक की बर्फ पिघल रही है। उपनिषद में तेन-संसार में रहते हुए उसका त्याग पूर्वक भोग करो और दूसरे की संपति का लालच मत करो। ढाई हजार साल पहले भगवान बुद्ध ने आवश्यक्ता के अनुसार सिद्धांत को अपने में शामिल किया, महात्मा गांधी ने भी आवश्यक्ता अनुसार सिद्धांत को बल दिया था। उन्होंने कहा कि त्याग पूर्वक भोग से हम आवश्यकता से होते हुए लालच करते हुए हम प्रकृति का दोहन करने लगे है।
आतंकवाद का खतरा
पीएम मोदी ने कहा कि आतंकवाद बड़ा खतरा है, लेकिन उससे भी बड़ा खतरा है कि लोग आतंकवाद को भी अच्छा आतंकवाद और बुरा आंतकवाद के रूप में परिभाषित करते हैं। भारतीय परंपरा में प्रकृति के साथ गहरे तालमेल के बारे में हजारों साल पहले हमारे शास्त्रों में मनुष्यमात्र को बताया गया कि भूमि माता, पूत्रो अहम पृथ्वया यानी हम लोग इस धरती की संतान हैं।
उन्होंने कहा कि लोकतंत्र राजनीतिक व्यवस्था ही नहीं, बल्कि जीवन शैली है। हम भारतीय ये समझते हैं कि विविधता के विभिन्न आयामों संकल्प का कितना महत्व होता है। भारत में लोकतंत्र सवा सौ करोड़ लोगों के सपनों, आकांक्षाओं और उनके विकास के लिए एक रोडमैप भी तय करता है। भारत के 6 सौ करोड़ मतदाताओं ने 2014 में किसी एक पार्टी को पूर्ण बहुमत दिया। हमने किसी एक वर्ग का या सीमित विकास का नहीं, बल्कि सबके विकास का संकल्प लिया। हमारी सरकार का मोटो है- सबका साथ, सबका विकास। हमारी योजना और नीति समावेशी है। हमारी हर चीज में समावेशी दर्शन देखने को मिलता है।