प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का चित्र मदरसों में लगाने से मदरसा बोर्ड के इन्कार पर राज्य सरकार सख्त हो गर्इ है। काबीना मंत्री और राज्य सरकार के प्रवक्ता मदन कौशिक का कहना है कि सरकारी फरमान न मानने वाले मदरसों पर कार्रवाई की जाएगी। वहीं, दूसरी तरफ उत्तराखंड मदरसा बोर्ड के डिप्टी रजिस्ट्रार हाजी अखलाक अहमद का कहना है कि उनकी धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक मदरसों में किसी भी राजनेता या अन्य हस्तियों के चित्र लगाना वर्जित है। मदरसों समेत सभी शिक्षण संस्थानों के परिसर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का चित्र लगाने के आदेश शासन स्तर से जारी किए गए थे। इसके पीछे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के वर्ष 2022 तक नए भारत के निर्माण के विजन का हवाला दिया गया था। इस आदेश के बाद अल्पसंख्यक कल्याण विभाग से भी मदरसों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का चित्र लगाने के निर्देश जारी किए गए थे। लेकिन अभी तक भी मदरसा बोर्ड ने इसका अनुपालन कराना तो दूर, इस तरह के किसी भी फरमान को मानने से इन्कार कर दिया है। इसे नाफरमानी करार देते हुए काबीना मंत्री व सरकार के प्रवक्ता ने दो टूक कहा कि प्रधानमंत्री किसी धर्म विशेष के नहीं, बल्कि पूरे देश के होते हैं। जब सरकार ने कोई आदेश जारी किया है तो उसे मानने की बाध्यता भी होती है। सुनिश्चित किया जाएगा कि इस आदेश का अनुपालन हो। वहीं, सरकार के इस आदेश को मानने से इन्कार करने के साथ ही बोर्ड के डिप्टी रजिस्ट्रार अखलाक अहमद ने यह सफाई भी दी कि उनका इस आदेश को मानने के पीछे कोई दूसरी वजह नहीं है। बोर्ड सिर्फ इस्लाम की मान्यताओं के चलते आदेश का अनुपालन करने में असमर्थ है। महज धार्मिक भेद के अनुसार प्रधानमंत्री जैसे संवैधानिक व्यक्तित्व का चित्र लगाने से परहेज नहीं किया जा रहा। यदि ऐसा होता तो मदरसा पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम का चित्र मदरसों में लगवाया जा सकता था।

पीएम मोदी का फोटो अगर मदरसों में नहीं लगाया तो होगी कार्रवार्इ

 प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का चित्र मदरसों में लगाने से मदरसा बोर्ड के इन्कार पर राज्य सरकार सख्त हो गर्इ है। काबीना मंत्री और राज्य सरकार के प्रवक्ता मदन कौशिक का कहना है कि सरकारी फरमान न मानने वाले मदरसों पर कार्रवाई की जाएगी। वहीं, दूसरी तरफ उत्तराखंड मदरसा बोर्ड के डिप्टी रजिस्ट्रार हाजी अखलाक अहमद का कहना है कि उनकी धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक मदरसों में किसी भी राजनेता या अन्य हस्तियों के चित्र लगाना वर्जित है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का चित्र मदरसों में लगाने से मदरसा बोर्ड के इन्कार पर राज्य सरकार सख्त हो गर्इ है। काबीना मंत्री और राज्य सरकार के प्रवक्ता मदन कौशिक का कहना है कि सरकारी फरमान न मानने वाले मदरसों पर कार्रवाई की जाएगी। वहीं, दूसरी तरफ उत्तराखंड मदरसा बोर्ड के डिप्टी रजिस्ट्रार हाजी अखलाक अहमद का कहना है कि उनकी धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक मदरसों में किसी भी राजनेता या अन्य हस्तियों के चित्र लगाना वर्जित है।  मदरसों समेत सभी शिक्षण संस्थानों के परिसर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का चित्र लगाने के आदेश शासन स्तर से जारी किए गए थे। इसके पीछे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के वर्ष 2022 तक नए भारत के निर्माण के विजन का हवाला दिया गया था। इस आदेश के बाद अल्पसंख्यक कल्याण विभाग से भी मदरसों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का चित्र लगाने के निर्देश जारी किए गए थे।  लेकिन अभी तक भी मदरसा बोर्ड ने इसका अनुपालन कराना तो दूर, इस तरह के किसी भी फरमान को मानने से इन्कार कर दिया है। इसे नाफरमानी करार देते हुए काबीना मंत्री व सरकार के प्रवक्ता ने दो टूक कहा कि प्रधानमंत्री किसी धर्म विशेष के नहीं, बल्कि पूरे देश के होते हैं। जब सरकार ने कोई आदेश जारी किया है तो उसे मानने की बाध्यता भी होती है। सुनिश्चित किया जाएगा कि इस आदेश का अनुपालन हो।  वहीं, सरकार के इस आदेश को मानने से इन्कार करने के साथ ही बोर्ड के डिप्टी रजिस्ट्रार अखलाक अहमद ने यह सफाई भी दी कि उनका इस आदेश को मानने के पीछे कोई दूसरी वजह नहीं है। बोर्ड सिर्फ इस्लाम की मान्यताओं के चलते आदेश का अनुपालन करने में असमर्थ है। महज धार्मिक भेद के अनुसार प्रधानमंत्री जैसे संवैधानिक व्यक्तित्व का चित्र लगाने से परहेज नहीं किया जा रहा। यदि ऐसा होता तो मदरसा पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम का चित्र मदरसों में लगवाया जा सकता था।

मदरसों समेत सभी शिक्षण संस्थानों के परिसर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का चित्र लगाने के आदेश शासन स्तर से जारी किए गए थे। इसके पीछे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के वर्ष 2022 तक नए भारत के निर्माण के विजन का हवाला दिया गया था। इस आदेश के बाद अल्पसंख्यक कल्याण विभाग से भी मदरसों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का चित्र लगाने के निर्देश जारी किए गए थे।

लेकिन अभी तक भी मदरसा बोर्ड ने इसका अनुपालन कराना तो दूर, इस तरह के किसी भी फरमान को मानने से इन्कार कर दिया है। इसे नाफरमानी करार देते हुए काबीना मंत्री व सरकार के प्रवक्ता ने दो टूक कहा कि प्रधानमंत्री किसी धर्म विशेष के नहीं, बल्कि पूरे देश के होते हैं। जब सरकार ने कोई आदेश जारी किया है तो उसे मानने की बाध्यता भी होती है। सुनिश्चित किया जाएगा कि इस आदेश का अनुपालन हो।

वहीं, सरकार के इस आदेश को मानने से इन्कार करने के साथ ही बोर्ड के डिप्टी रजिस्ट्रार अखलाक अहमद ने यह सफाई भी दी कि उनका इस आदेश को मानने के पीछे कोई दूसरी वजह नहीं है। बोर्ड सिर्फ इस्लाम की मान्यताओं के चलते आदेश का अनुपालन करने में असमर्थ है। महज धार्मिक भेद के अनुसार प्रधानमंत्री जैसे संवैधानिक व्यक्तित्व का चित्र लगाने से परहेज नहीं किया जा रहा। यदि ऐसा होता तो मदरसा पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम का चित्र मदरसों में लगवाया जा सकता था।

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