विपक्ष द्वारा संसद में तेजी से पारित किए जा रहे विधेयकों को लेकर आपत्ति जताई जा रही है. केंद्र सरकार के इस रवैये पर नाराजगी जताते हुए तृणमूल कांग्रेस के सांसद डेरेक ओ’ ब्रायन ने बुधवार को ट्वीट कर केंद्र सरकार पर निशाना साधा है. उन्होंने लिखा है, ‘संसद को विधेयकों की समीक्षा करानी चाहिए. हम पिज्जा डिलीवर कर रहे हैं या विधेयकों को पारित कर रहे हैं.’ आइए जानते है पूरी जानकारी विस्तार से

मंगलवार को इससे पहले टीएमसी सांसद ने कहा था कि जिस तरह से विधेयकों को पारित किया जा रहा है वह संसद का मजाक उड़ाने का तरीका है साथ ही सरकार इससे विपक्ष को दबा रही है. उन्होंने अपने ट्वीट में एक चार्ट भी अटैच किया है. इसमें 2004-2009 के दौरान संसद द्वारा 60 फीसद विधेयकों की समीक्षा कराई गई थी, 2009-2014 में यह आंकड़ा 71 फीसद रहा वहीं 2014-2019 में यह 26 फीसद पर आ गया. मौजूदा लोकसभा सत्र में 18 विधेयकों को पारित करा दिया गया जिसमें से केवल एक विधेयक को समीक्षा के लिए भेजा गया है.
आपकी जानकारी के लिए बता दे कि विपक्षी दलों के 17 नेताओं ने राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू को पत्र लिखकर इसपर नाराजगी जाहिर की थी. पत्र में सरकार द्वारा विभिन्न विधेयकों को संसदीय समिति में नहीं भेजने और बगैर समीक्षा के पारित कराए जाने पर गंभीर चिंता जतायी. विपक्षी दलों ने सरकार पर जल्दबाजी में विधेयक पारित कराने का आरोप लगाया। इनका कहना है कि सरकार अहम विधेयकों को संसद की स्थायी समितियों के समक्ष नहीं भेज रही है. पत्र के आखिर में आग्रह भरे शबदों का इस्तेमाल करते हुए लिखा है कि ‘जिस भावना के तहत यह पत्र लिखा गया है उसे आप स्वीकार करेंगे तथा सदस्यों के अधिकार के संरक्षण के लिये समुचित कदम उठायेंगे.’पर कांग्रेस के गुलाम नबी आजाद, तृणमूल कांग्रेस के डेरेक ओब्रायन, सपा के रामगोपाल यादव और आप के संजय सिंह सहित 17 दलों के नेताओं ने हस्ताक्षर भी किए हैं.
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