पानी की समस्या को लेकर दिल्ली जल बोर्ड ने आज उच्च स्तरीय की बैठक में वॉटर सप्लाई मैनेजमेंट पर की चर्चा

नई दिल्ली: बढ़ती गर्मी के बीच दिल्ली में कई इलाकों में पानी की किल्लत की समस्या सामने आ रही है. इसे लेकर दिल्ली जल बोर्ड ने आज एक उच्च स्तरीय बैठक की जिसमें खासकर गर्मियों में दिल्ली के वॉटर सप्लाई मैनेजमेंट पर चर्चा की गई. दिल्ली जल बोर्ड के उपाध्यक्ष राघव चड्ढा ने गुरुवार को मुख्य अभियंताओं, वरिष्ठ अधिकारियों और दिल्ली जल बोर्ड के सदस्यों के साथ ये बैठक की. बैठक में इन मुद्दों पर चर्चा की गई-

  • दिल्ली के भीतर उपलब्ध पानी का पाइप और टैंकर के जरिए समान वितरण
  • निर्वाचन क्षेत्र स्तर पर पानी की कमी और दूषित पानी
  • विधायक और वार्ड स्तर के साथ-साथ सोशल मीडिया से मिल रही शिकायतों को कम करने के लिए एक रैपिड रिस्पांस टीम का गठन

बैठक में दिल्ली जल बोर्ड के उपाध्यक्ष राघव चड्ढा ने कहा कि जनसंख्या और प्रति व्यक्ति पानी के उपयोग जैसे महत्वपूर्ण मानकों के मॉडल के आधार पर राजधानी में पानी की आपूर्ति का रोड मैप बनाना चाहिए. इसी से अधिकतम लोगों को राहत पहुंचाई जा सकती है. हमें मौजूदा कच्चे पानी की आपूर्ति के लिए पाइप नेटवर्क या अतिरिक्त टैंकर के माध्यम से समान आपूर्ति का तरीका खोजने की जरूरत है. दिल्ली जल बोर्ड के अधिकारियों को यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि शिकायतों का बिना किसी देरी के तुरंत निवारण किया जाए.

बैठक में जल बोर्ड के सदस्यों को निर्देश दिए गए कि सभी 70 निर्वाचन क्षेत्रों में जलापूर्ति प्रबंधन की समीक्षा की जाएगी और संगठन में किसी भी अधिकारी के किसी भी तरह के ढुलमुल रवैये को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. गंदे पानी की शिकायत, पानी की लाइन में लीकेज, कम दबाव वाला पानी, पानी की आपूर्ति नहीं होने, पानी की बर्बादी आदि जैसे मापदंडों पर समीक्षा की गई. राघव चड्ढा ने कहा कि सभी मुख्य अभियंताओं को क्षेत्र के विधायकों के साथ-साथ अपने संबंधित क्षेत्रों का दौरा करने की ज़रूरत है. पानी से जुड़े सभी मुद्दों को हल करने के लिए एक कार्य योजना तैयार करें और उपाध्यक्ष कार्यालय में चल रहे विकास कार्यों के संबंध में साप्ताहिक रिपोर्ट जमा कराएं.

पानी का रोजाना विश्लेषण करने का निर्देश
उपाध्यक्ष राघव चड्ढा ने दिल्ली जल बोर्ड के अधिकारियों को निर्देश दिया कि विधानसभा क्षेत्र के हिसाब से रोज दिल्ली जल बोर्ड को मिले पानी का विश्लेषण किया जाए कि कितना पानी मिला, मांग और आपूर्ति के बीच में कितना अंतर है. जिन इलाकों से गंदे पानी, पानी की आपूर्ति नहीं होने, पानी की कम आपूर्ति जैसी शिकायतें सबसे ज़्यादा मिलती हैं, उन शिकायतों को जल्द दूर किया जाए. साथ ही उन्होंने मुख्य अभियंताओं और अधीक्षक अभियंताओं को रैपिड रिस्पांस टीम की तैनाती पर भी जोर दिया. ये लोग अपने इलाके के विधायकों से मिलने और साइट दौरे के बाद विशेष कार्य योजनाओं का प्लान तैयार करेंगे. इन योजनाओं को सत्यापन और आगे की कार्रवाई के लिए जल सदस्यों को दिया जाएगा. इस योजना के लागू होने से उम्मीद है कि डीजेबी को मिलने वाली शिकायतों की संख्या में कमी आएगी.

बैठक में मानसून के कुछ दिनों बाद आने और पानी की बढ़ती मांग के कारण पैदा हुई गंभीर स्थिति के बारे में भी चर्चा की गई. राघव चड्ढा ने फ्लोमीटर लगाने के स्टॉक का भी जायजा लिया और हर मुख्य अभियंता को अपने कार्यक्षेत्र के मुताबिक एक विस्तृत रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया. साथ ही, पानी की आपूर्ति की मात्रा पर निगरानी के लिए माध्यमिक और तृतीयक टैपिंग में फ्लोमीटर लगाने की आवश्यकता पर बल दिया. जबकि प्राथमिक बिंदुओं पर फ्लो मीटर पूरी तरह से लगाए गए हैं.

दरअसल की एक पॉइंट से पानी के प्रवाह को मापने के लिए फ्लोमीटर आवश्यक हैं. ये जल ऑडिटिंग और रिसाव के नुकसान को कम करने में मदद करते हैं. और पीने योग्य पानी की आपूर्ति के नुकसान को कम करने के साथ-साथ उचित प्रबंधन में भी मदद करते हैं. इसके अलावा किसी भी संभावित रिसाव का पता लगाने में मदद करते हैं. 

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