
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, 27 दिसंबर को पाकिस्तानी सेना के ‘पब्लिसिटी स्टंटबाज’ मेजर जनरल आसिफ गफूर ने कराची में स्थित जामिया रशीदिया मदरसे का दौरा किया था। जामिया रशीदिया मदरसे का संबंध जैश ए मोहम्मद से है और सैय्यद सलाउद्दीन कई बार इस मदरसे का दौरा कर चुका है।
इतना ही नहीं, इस मदरसे का नाम 2002 में वॉल स्ट्रीट जर्नल के रिपोर्टर डैनियल पर्ल के अपहरण और हत्या से जुड़ा था। इस घटना के बाद संयुक्त राष्ट्र और अमेरिका ने इसे आतंकी संगठन घोषित कर दिया था।
जनरल आसिफ गफूर ने इस यात्रा पर कोई सार्वजनिक पोस्ट नहीं की लेकिन कई लोगों ने जामिया रशीदिया मदरसे में छात्रों के बीच उनकी फोटो को शेयर किया। इस मदरसे की स्थापना मुफ़्ती मोहम्मद रशीद ने किया था।
इस महीने की शुरुआत में पाकिस्तान रेंजर्स के कई वरिष्ठ अधिकारियों ने अहले सुन्नत वल जमात के प्रमुख औरंगजेब फारूकी से मुलाकात की थी। अहले सुन्नत वल जमात पाकिस्तान के कुख्यात सिपाह-ए-सहाबा पाकिस्तान का हिस्सा है। यह संगठन पाकिस्तान में सैकड़ों की संख्या में शिया अल्पसंख्यकों की हत्या में शामिल रहा है।
बता दें कि वॉल स्ट्रीट जर्नल के रिपोर्टर डैनियल पर्ल का शव मई 2002 में जामिया रशीदिया मदरसे से 500 गज की दूरी पर अल रशीद ट्रस्ट के स्वामित्व वाली जमीन में स्थित एक कब्र से बरामद हुआ था। माना जाता है कि इस मदरसे का संबंध अलकायदा से भी है।
सिपाह-ए-सहाबा पाकिस्तान को 2002 में पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ ने प्रतिबंधित कर दिया था। इसके बाद इस संगठन ने अपना नाम बदलकर अहले सुन्नत वाल जमात कर लियाष लेकिन 2012 में पाकिस्तान सरकार ने इसे भी प्रतिबंधित कर दिया था।
वर्तमान में ये दोनों समूह राष्ट्रीय काउंटर टेररिज्म प्राधिकरण की सूची में शामिल है। लेकिन, पाकिस्तानी सेना के वरिष्ठ अधिकारियों का इनसे मिलना कई सवाल खड़े कर रहा है। इसे लेकर भारत में सतर्कता बढ़ा दी गई है।
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