इस्लामाबाद: आतंकियों का सबसे बड़ा समर्थक पाकिस्तान इस समय धर्मसंकट में फंसा नज़र आ रहा है, एक ओर जहां वो खुद आतंकियों को पनाह देता है वहीं दूसरी ओर भारत और अमेरिका के दबाव में आकर उसने आतंकियों के खिलाफ एक अध्यादेश को मान्य कर दिया है. संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) द्वारा प्रतिबंधित व्यक्तियों और लश्कर-ए-तैयबा, अल-कायदा तथा तालिबान जैसे संगठनों पर लगाम लगाने के लिए जारी हुए एक अध्यादेश पर पाकिस्तानी राष्ट्रपति ममनून हुसैन ने हस्ताक्षर किये हैं. एक रिपोर्ट के अनुसार यह अध्यादेश, आतंकवाद निरोधक अधिनियम की एक धारा में संशोधन कर अधिकारीयों को आतंकवादियों के खिलाफ कड़ी कार्यवाही करने और उनकी सम्पत्तियां जब्त करने का अधिकार प्रदान करता है. 
गृह मंत्री, वित्त मंत्री और विदेश मंत्री के साथ-साथ एनएसीटीए की आतंकवाद वित्तपोषण विरोधी इकाई इस अभियान में एक साथ काम कर रही है, इस बात की जानकारी खुद राष्ट्रीय आतंकवाद निरोधक प्राधिकरण ने दी है. हालांकि इस कानून के बारे में अधिकारीयों ने कोई विस्तृत जानकारी देने से इंकार कर दिया है. अधिकारी ने कहा, ‘‘संबंधित मंत्रालय इसे अधिसूचित करेगा और इस पर प्रतिक्रिया देगा.’’
आपको बता दें कि, इस रिपोर्ट में अल-कायदा, तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान, लश्कर-ए-झांगवी, जमात-उद-दावा, फलाह-ए-इंसानियत फाउंडेशन (एफआईएफ), लश्कर-ए-तैयबा सहित अन्य आतंकी दलों को प्रतिबंधित सूचि में रखा गया है. जिससे जमात-उद-दवा के आतंकी सरगना हाफिज सईद को बड़ा झटका लगा है. पाकिस्तानी राष्ट्रपति के इस कदम से आतंक के आकाओं में जरूर दहशत का माहौल है, लेकिन पाकिस्तानी सरकार भी किसी अनहोनी की आशंका से खौफजदा है, क्योंकि आतंकी अब पाकिस्तान पर भी हमला कर सकते हैं.
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