चीन और पाकिस्तान सावधान
भारत और अमरीका के इस समझौते को लेकर चीन और पाकिस्तान की घबराहट और बढ़ने वाली है क्योंकि चीन को काबू में रखने के लिए ओबामा के कार्यकाल में यह एक महत्वपूर्ण एग्रीमैंट है। वहीं साउथ चाइना सी में चीन की अकड़ के मद्देनजर भारत के साथ अमेरिका का यह समझौता बेहद अहम है। इसके साथ ही इंडिया और अमेरिका इस समझौते से मिलने वाली सुविधाओं का इस्तेमाल अपने समान दुश्मन और मजहबी आतंकियों के खिलाफ भी करेंगे।
अमरीका भारत के साथ, PAk मुश्किल में
भारत पहले से काफी मजबूत हो गया है और अगर उसके पास जेट इंजन और मानव रहित हवाई वाहन टेक्नॉलजी आ जाती है तो पाकिस्तान की डिफेंस क्षमता बुरी तरह से प्रभावित होगी। इस सबसे से भी ज्यादा महत्वपार्ण है कि अमरीका की भारत के साथ दोस्ती। इसी दोस्ती के चलते अमरीका भारत को मिसाइल टेक्नॉलजी कंट्रोल रेजिम में एंट्री दे चुका है। इन सब बातों से पाकिस्तान की मुश्किलें बढ़ सकती हैं।
दोनों देशों में मजबूत रक्षा संबंध के लिए हुआ समझौता
पेंटागन में पर्रिकर और कार्टर के बीच बातचीत हुई। इसके बाद कार्टर के साथ संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में पर्रिकर ने कहा, ‘‘भारत में किसी भी सैन्य अड्डे को स्थापित करने या इस तरह की किसी गतिविधि का कोई प्रावधान नहीं है।’’ एलईएमआेए भारत और अमरीका की सेनाओं के बीच प्रतिपूर्ति के आधार पर साजो-सामान संबंधी सहयोग, आपूर्ति और सेवाओं का प्रावधान करता है। यह इनके संचालन की रूपरेखा उपलब्ध कराता है। इसमें भोजन, पानी, घर, परिवहन, पेट्रोल, तेल, कपड़े, चिकित्सीय सेवाएं, कलपुर्जे, मरम्मत एवं रखरखाव की सेवाएं, प्रशिक्षण सेवाएं और अन्य साजो-सामान संबंधी वस्तुएं एवं सेवाएं शामिल हैं। उन्होंने कहा, ‘‘मूल रूप से यह इस बात को सुनिश्चित करेगा कि दोनों नौसेनाएं हमारे संयुक्त अभियानों एवं अभ्यासों में एक दूसरे के लिए मददगार साबित हो सकें।’’
सैन्य अड्डे नहीं बनाए जाएंगे
अमेरिकी रक्षा मंत्री ने कहा कि एलईएमआेए दोनों देशों को एकसाथ काम करने में सक्षम बनाने में बेहद महत्वपूर्ण है। कार्टर ने कहा कि यह हमारे एकसाथ काम करने को संभव एवं आसान बनाता है। उन्होंने कहा, ‘‘यह पूरी तरह आपसी सहमति पर आधारित है। दूसरे शब्दों में कहें तो, इस समझौते के तहत हम एक-दूसरे को पूरी तरह से साजो-समान संबंधी पहुंच एवं सुगमता मुहैया कराते हैं।