पांच दशक बाद ऋषिकेश पहुंचीं बीटल्स की प्रेरणा प्रूडेंस फेरौबूंस
पांच दशक बाद ऋषिकेश पहुंचीं बीटल्स की प्रेरणा प्रूडेंस फेरौबूंस

पांच दशक बाद ऋषिकेश पहुंचीं बीटल्स की प्रेरणा प्रूडेंस फेरौबूंस

ऋषिकेश: विश्व प्रसिद्ध म्यूजिक बैंड बीटल्स ने साठ के दशक में अपने ऋषिकेश प्रवास के दौरान 48 गीत लिखे और गाए भी। ये गीत इतने मशहूर हुए कि पूरी दुनिया बीटल्स की दीवानी हो गई। इन गीतों की प्रेरणा बनी थी एक अवसादग्रस्त युवती प्रूडेंस फेरौबूंस। द्वितीय विश्वयुद्ध की विभीषिका देख अवसाद में आई फ्लोरिडा निवासी यह युवती मानसिक शांति के लिए ऋषिकेश में महर्षि महेश योगी के आश्रम पहुंची थी। पांच दशक बाद ऋषिकेश पहुंचीं बीटल्स की प्रेरणा प्रूडेंस फेरौबूंस

इन दिनों प्रूडेंस एक बार फिर तीर्थनगरी के प्रवास पर हैं। ‘दैनिक जागरण’ से खास मुलाकात में प्रूडेंस ने पांच दशक पूर्व तीर्थनगरी में बिताए दिनों को याद कर महर्षि महेश योगी और बीटल्स पर दिल खोलकर चर्चा की। प्रूडेंस हॉलीवुड फिल्मों की मशहूर नायिका मिआ फेरौ की बहन हैं। वह खुद भी हॉलीवुड फिल्मों में अभिनय कर चुकी हैं। वर्तमान में योगाचार्य के रूप में पहचान बना चुकीं प्रूडेंस ने बताया कि 20 वर्ष की उम्र में द्वितीय विश्वयुद्ध की विभीषिका देखने के बाद वह अवसाद में आ गई थी। वर्ष 1968 में परिजनों ने उन्हें महर्षि महेश योगी के सानिध्य में ऋषिकेश भेज दिया।

प्रूडेंस ने बताया कि महर्षि महेश योगी के स्वर्गाश्रम स्थित आश्रम शंकराचार्य नगर (चौरासी कुटी) में उन्होंने योग साधना शुरू की। मगर, वह इस कदर अवसाद में थी कि कुटिया से बाहर भी नहीं निकलती थी। तब बीटल्स ग्रुप के चार सदस्य जॉन लिन्नोन, पॉल मैक कॉर्टिनी, जार्ज हैरिसन व रिंगो स्टार भी ऋषिकेश में ही योग-ध्यान सीख रहे थे। जॉन लिन्नोन व पॉल मैक कॉर्टिनी को जब उनके एकाकीपन का पता चला तो उन्होंने उसे कमरे से बाहर निकालने के लिए गीत रचा, ‘डियर प्रूडेंस कम आउट प्रूडेंस।’ वह हमेशा इस गीत को उनकी कुटिया के बाहर गाकर सुनाते थे। तबयोग-ध्यान के अभ्यास और बीटल्स की धुनों ने उन्हें बेहद प्रभावित किया और वह पूरी तरह स्वस्थ हो गई। 

प्रूडेंस बताती हैं कि बीटल्स ने ऋषिकेश में रहते हुए उन पर आधारित यह पहला गाना लिखा और गाया भी। अपने एक वर्ष के प्रवास के दौरान बीटल्स ने यहां पूरे 48 गीत रचे, जो दुनियाभर में बेहद लोकप्रिय हुए। बीटल्स के इस गीत के बाद उन्हें भी खासी पहचान मिली और स्वदेश लौटने पर उन्हें फिल्मों में भी काम मिला। मगर, फिर उन्होंने योग-ध्यान का ज्ञान लोगों में बांटने की ठान ली। कहती हैं, यदि वह उस दौर में ऋषिकेश न आती तो शायद उसकी जिंदगी में इतना बड़ा बदलाव नहीं आता। 

बरकरार है ऋषिकेश की आध्यात्मिकता 

पांच दशक बाद ऋषिकेश पहुंची प्रूडेंस फेरौबूंस को ऋषिकेश में बिताया एक-एक पल इस तरह याद है, मानो यह कल की ही बात हो। प्रूडेंस ने बताया कि पांच दशक बाद ऋषिकेश में सिर्फ ढांचागत परिवर्तन हुआ है। यहां की आध्यात्मिकता आज भी बरकरार है। गंगा की कलकल और प्राकृतिक वैभव इस नगर को बेहद खूबसूरत बनाते हैं। बताया कि वह एक मार्च से शुरू होने वाले अंतर्राष्ट्रीय योग महोत्सव तक ऋषिकेश में ही रहेंगी। चौरासी कुटी को दोबारा खोले जाने और बीटल्स की याद में यहां प्रस्तावित कार्यक्रम को लेकर प्रूडेंस ने खुशी जाहिर की। 

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