यूपीए के शासन काल में भारत दुनिया की पांच कमजोर अर्थव्यवस्था में शामिल हो चुकी भारतीय अर्थव्यवस्था को पांच शीर्ष अर्थव्यवस्था में शामिल करने के सफरनामे का दावा करते हुए गुरुवार को मोदी सरकार ने संसद में श्वेत पत्र जारी किया।
भारतीय अर्थव्यवस्था पर केंद्र ने जारी किया श्वेत पत्र
भारतीय अर्थव्यवस्था पर जारी इस श्वेत पत्र में बताया गया है कि वाजपेयी सरकार से मजबूत आर्थिक विरासत मिलने के बावजूद यूपीए सरकार ने वर्ष 2004 के बाद अपनी खोखली आर्थिक नीतियों एवं आर्थिक घोटाले की बदौलत देश की अर्थव्यवस्था को कर्ज व राजकोषीय घाटे से लाद दिया जहां विदेशी निवेशक निवेश से हिचकने लगे, मैन्यूफैक्चरिंग में गिरावट होने लगी, महंगाई अपने चरम पर पहुंच गई और जनता बिजली, पेयजल, अस्पताल जैसी आधारभूत सुविधाओं के लिए तरसने लगी।
यूपीए काल में गहराया था बैंकिंग संकट
नतीजा यह हुआ कि वर्ष 2014 आते-आते दुनिया का भारत की आर्थिक क्षमता व गतिशीलता से भरोसा उठने लगा, वित्तीय अनुशासनहीनता बढ़ने लगी और भ्रष्टाचार का बोलबाला हो गया और सरकार अपनी राजनैतिक छवि को चमकाने में देश को चमकाने की तुलना में अधिक भरोसा रखने लगी। बिना जांचे-परखे लोन देने की वजह से यूपीए के काल में बैंकिंग संकट गहरा गया था। बैंकों के एनपीए बढ़ने लगे थे और बैंक अंदर से खोखला हो रहे थे। विदेशी मुद्रा का भंडार कम हो रहा था और वर्ष 2013 के अगस्त में यह 256 अरब डॉलर था जो वर्ष 2011 में 294 अरब डालर था।
इस पर पड़ा था असर
राजकोषीय घाटा अधिक होने से वित्त वर्ष 2011-12 में बजटीय प्रविधान की तुलना में 27 प्रतिशत अधिक बाजार से कर्ज लिया गया। इंफ्रास्ट्रक्चर विकास चरमराने लगा था। 2004-14 के दौरान नेशनल हाईवे में 16000 किलोमीटर जोड़ा गया जबकि वर्ष 1997-2002 के दौरान एनडीए काल में 24000 किलोमीटर जोड़े गए थे।
स्वास्थ्य सुविधा का भी हाल था खस्ता
सामाजिक व ग्रामीण मामले से जुड़े मंत्रालय के पैसे खर्च तक नहीं किए जा रहे थे। इन विभागों के लिए 2004-14 के दौरान खर्च के लिए आवंटित 94,060 करोड़ रुपए ऐसे ही रखे रह गए। स्वास्थ्य सुविधा का इतना बुरा हाल था कि इस मद में जाने वाले खर्च लोग अपनी हैसियत से बाहर जाकर कर रहे थे।
2014 में सरकार के सामने थी बड़ी चुनौती
लोकसभा चुनाव 2024 की बढ़ी सरगर्मियों के बीच जारी श्वेत पत्र के मुताबिक, ऐसी अवस्था में वर्ष 2014 में जब एनडीए की सरकार बनी तो अर्थव्यवस्था की नाजुक स्थिति में होने की वजह से उनके समक्ष चुनौती बड़ी थी।
फिर शुरू हुआ आर्थिक मोर्चे पर कठोर निर्णय लेने का सफर ताकि अर्थव्यवस्था को फिर से गतिशील बनाई जा सके, निवेशकों के मन भारतीय अर्थव्यवस्था के प्रति सकारात्मक भाव पैदा किया जा सके और देश को शीर्ष अर्थव्यवस्थाओं में शामिल किया जा सके। इस काम के लिए समग्र रूप से आर्थिक सुधार कार्यक्रम की प्रक्रिया अपनाई गई।
मोदी सरकार ने अपनाई नेशन फर्स्ट की नीति
राष्ट्र पहले (नेशन फर्स्ट) की नीति अपनाने से इंफ्रास्ट्रक्चर और लॉजिस्टिक सिस्टम में सुधार किया गया जिससे निवेश को आकर्षित किया जा सके और भारत वैश्विक वैल्यू चेन में शामिल हो सके।
नेशनल हाईवे, रेल रूट का विद्युतीकरण, एयरपोर्ट की संख्या में बढ़ोतरी के साथ जीरो बैलेंस वाले बैंक खाते, शौचालय का निर्माण, ग्रामीण विद्युतीकरण, सस्ती दवाइयां, ग्रामीण इलाके में सस्ते मकान, ऑप्टिकल फाइबर, असंगठित क्षेत्रों को पेंशन सुविधा जैसे कई सामाजिक सुधार कार्यक्रम अपनाए गए। कर के मोर्चे पर जीएसटी को लागू किया गया और करदाताओं का भरोसा जीतकर आयकर का दायरा भी बढ़ाया गया।
सरकार ने वित्तीय स्थिति को मजबूत करने पर किया काम
वित्तीय स्थिति को मजबूत करने के लिए सरकार ने राजस्व खर्च में लगातार कमी की और पूंजीगत खर्च में बढ़ोतरी की गई। वित्त वर्ष 2013-14 में इन्फ्रास्ट्रक्चर विकास पर होने वाला खर्च 1.9 लाख करोड़ था जो वित्त वर्ष 2023-24 में बढ़कर 9.5 लाख करोड़ हो गया। टेलिकॉम सेक्टर को बढ़ाते हुए 5जी सेवा तक शुरू की गई जिससे डिजिटल सेवा में भारत दुनिया का नेता बन गया और डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर की मदद से सभी सेक्टर को वैल्यू एडीशन करने का मौका मिला।
तेजी से बढ़ा विदेशी मुद्रा भंडार
विदेशी मुद्रा का भंडार वर्ष 2014 में जहां 303 अरब डॉलर था जो वर्ष 2024 के जनवरी में 617 अरब डॉलर तक पहुंच गया।
- वर्ष 2004-14 में 1.8 करोड़ शौचालय का निर्माण
- वर्ष 2014-24 में 11.5 करोड़ शौचालय का निर्माण
- यूपीए काल के 2005-2014 में 2.15 करोड़ ग्रामीण घरों का विद्युतीकरण
- एनडीए काल के 2017-22 में 2.86 करोड़ ग्रामीण घरों का विद्युतीकरण
- सस्ती दवा के लिए यूपीए के 2008-14 में 164 जन औषधि केंद्र खोले गए
- एनडीए के 2014-2023 के दौरान 10000 स्टोर खोले गए
- यूपीए के 2011-14 में 6577 किलोमीटर आप्टिकल फाइबर बिछाई गई
- एनडीए के 2015-23 में 6.8 लाख किलोमीटर आप्टिकल फाइबर बिछाई गई
- वर्ष 2010-2013 के दौरान 9.9 लाख लाभार्थियों को गरीबों के लिए मातृत्व लाभ
- वर्ष 2017-23 में 3.59 करोड़ को मिला मातृत्व योजना का लाभ
इसलिए लाया गया श्वेत पत्र
लोकसभा चुनाव से ठीक पहले मोदी सरकार ने श्वेत पत्र के जरिए यूपीए शासनकाल के दस सालों के कारनामों की लोगों को फिर से याद दिलाई है। साथ ही यह भी बताया है कि 2014 में उन्हें जब सत्ता मिली थी, तो उस समय देश के हालात कैसे थे। आर्थिक हालात कैसे थे। श्वेत पत्र लाने के पीछे उद्देश्य को भी इस दौरान सरकार ने साफ किया है।
क्या है उद्देश्य?
सरकार ने बताया था कि श्वेत पत्र लाने के पीछे उनके चार उद्देश्य हैं।
- पहला- संसद सदस्यों और देश की जनता को वर्ष 2014 में सत्ता में आने के दौरान विरासत में मिले संसाधन, आर्थिक स्थिति से अवगत कराना है।
- दूसरा- देशवासियों को अर्थव्यवस्था में सुधार लाने के लिए और अमृतकाल में लोगों के विकास के लिए उठाए गए कदमों से लोगों को अवगत कराना।
- तीसरा- राजनीतिक लाभ के बजाय राष्ट्रीय हित को सर्वोपरि रखते हुए उठाए गए कदमों को लेकर लोगों में भरोसा जगाना।
- चौथा- संभावनाओं और अवसरों की उपलब्धता को देखते हुए देश को नई प्रेरणाओं और नए संकल्पों के साथ राष्ट्रीय विकास के तैयार करना है।