पांचवें दिन भी नेट बंद होने से ऑनलाइन कारोबार बेपटरी हो गया। ई-वे बिल जनरेट न होने से शहर के बाहर आने जाने वाले कारोबार पूरी तरह से बंद रहा। पॉश मशीनों से लेन-देन न होने से कपड़ा, किराना और रेस्टोरेंट कारोबार में भी लगभग 60 फीसदी की गिरावट आई है।

पाण्डेयगंज के गल्ला कारोबारी राजेन्द्र अग्रवाल ने बताया कि चार दिन से गल्ला की ढुलाई पूरी तरह से बंद है। इसका सबसे बड़ा कारण ई- वे बिल का न बनना है। लखनऊ दाल-राइस मिलर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष भारत भूषण गुप्ता ने बताया कि नेट बंद होने से कारोबार बंद पड़ा है। उनका कहना है कि लखनऊ से सीतापुर, लखीमपुर, हरदोई, रायबरेली, सुलतानपुर, उन्नाव जैसे शहरों में गल्ला खरीद अच्छी मात्रा में होती है। लेकिन कारोबारी माल की सुरक्षा और नेट बंद होने से राशन की खरीद नहीं कर रहे हैं।
बाजार खुलीं लेकिन खरीदारी कम हुई
यहियागंज व्यापार मंडल के अध्यक्ष अमरनाथ मिश्र बताते हैं कि पूरे दिन में केवल तीन-चार कारोबारी ही खरीदारी करने पहुंचे। वह भी शहर में ही रहते हैं। जिले के बाहर से आने वाले व्यापारियों का आना बिल्कुल बंद है। उपद्रव के बाद बाजार तो खुल गए लेकिन स्थानीय ग्राहक केवल जरूरत की चीजें खरीदने के लिए ही बाजार पहुंच रहा है
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