परोपकार करना एक जाटिल कार्य अजीम प्रेमजी

विप्रो लिमिटेड के संस्थापक और फाउंडर चेयरमैन अजीम प्रेमजी ने कहा कि किसी तरह का परोपकार करना किसी कंपनी को चलाने से ज्यादा मुश्किल कार्य है। मद्रास मैनेजमेंट एसोसिएशन द्वारा ऐमलेगमेशन बिजनेस लीडरशिप अवार्ड मिलने के बाद देश की दिग्गज आईटी कंपनी की स्थापना करने वाले प्रेमजी ने कहा कि परोपकार करना एक जाटिल कार्य है।

प्रेमजी ने कहा कि मैं पिछले एक साल से परोपकार संबंधी कार्यों से ज्यादा जुड़ गया हूं। जितना मैं इसको देख रहा हूं, उससे ये ही लगता है कि यह कितना जाटिल है। पैसे के बिना भी आप किसी इंसान को कैसे खुश रख सकते हैं और समाजसेवा से आपको कितनी तारीफ मिलती है, यह आप शब्दों में बयां नहीं कर सकते हैं।

प्रेमजी ने ‘लीडिंग ए यंग एंड डिजिटल इंडिया’ टॉपिक पर अनंतारामाकृष्णन मेमोरियल लेक्चर में उन्होंने अपने जीवन से जुड़ी बातें साझा करते हुए कहा- मेरी मां और महात्मा गांधी के जीवन से मेरी सोच काफी प्रभावित हुई। मैंने उनसे समझा कि संपत्ति का इस्तेमाल कैसे करना चाहिए। मेरी मां मुंबई में बच्चों के ऑर्थोपेडिक हॉस्पिटल की प्रमुख फाउंडर थीं। ये अस्पताल पोलियोग्रस्त बच्चों के लिए एशिया में अपने तरह का पहला था।
प्रेमजी को देश का बिल गेट्स कहा जाता है। उन्होंने अपनी निजी संपत्ति को दान कर दिया है। वे पहले ही विप्रो के 52750 करोड़ रुपये के शेयर दान कर दिए। इसके अलावा वो 1.45 लाख करोड़ रुपये अजीम प्रेमजी फाउंडेशन को दे चुके हैं। प्रेमजी 53 साल विप्रो का नेतृत्व करने के बाद 30 जुलाई को चेयरमैन पद से रिटायर हो गए। विप्रो आईटी के अलावा एफएमसीजी और हेल्थकेयर जैसे सेक्टर में भी कार्य कर रही है।

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