पंजाब में आम आदमी पार्टी के दोनों पक्षों के बीच सुलह की उम्मीद हुई कम

आम आदमी पार्टी के दोनों गुटों के बीच अब सुलह की उम्मीद बहुत कम नजर आ रही है। पार्टी द्वारा बागी सुखपाल खैरा गुट को विश्वास में लिए बगैर लोकसभा चुनाव के लिए पांच उम्मीदवार घोषित करने के बाद समझौते के आसार और कम हो गए हैं। बागी खैरा गुट को पिछले दिनों मिल रहे रिस्पॉन्स के बाद आप सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल ने प्रदेश नेतृत्व को बातचीत के जरिए विवाद सुलझाने के निर्देश दिए थे। 

खैरा गुट बातचीत के लिए पहले ही कमेटी बना चुका था। लेकिन उनका आरोप था कि पार्टी की ओर से कोई बातचीत नहीं कर रहा। जिसके बाद पार्टी ने भी इसके लिए कमेटी गठित कर दी थी। लेकिन दोनों कमेटियों के बीच हुई एकमात्र बैठक बेनतीजा रही। साथ ही नया विवाद भी खड़ा हो गया। उप नेता सरबजीत कौर माणुके ने आरोप लगा दिया कि बागी गुट ने मांग की है कि सुखपाल खैरा को प्रदेश प्रधान बनाया जाए। जिसके बाद दोनों गुटों के बीच आरोप-प्रत्यारोप शुरू हो गए। 

अभी यह विवाद निपटा नहीं था कि पार्टी ने लोकसभा चुनाव के लिए पांच उम्मीदवारों का एलान कर दिया। इसमें खैरा गुट को विश्वास में नहीं लिया गया। जिससे उनकी नाराजगी और बढ़ गई है। खैरा गुट ने आठ नवंबर तक का अल्टीमेटम दिया है। लेकिन पार्टी फिलहाल इसे गंभीरता से नहीं ले रही है। पार्टी का एक बड़ा वर्ग बागी गुट समझौते के पक्ष में नहीं है। उन्हें लगता है कि खैरा गुट खुल कर पार्टी के खिलाफ कुछ नहीं कर सकता। 

बागी गुट ने लोकसभा चुनाव में विरोध की चेतावनी दी है। लेकिन वे खुल कर विरोध भी नहीं कर सकेंगे। क्योंकि यह पार्टी विरोधी गतिविधि माना जाएगा और उसके चलते उनकी विधानसभा सदस्यता जा सकती है। खैरा गुट ने अलग फ्रंट बनाने का एलान किया है। लेकिन पार्टी के खिलाफ जाकर वह भी संभव नहीं है। इसलिए वे बागी गुट की शर्तों के आगे झुकने के मूड में नहीं हैं। उनकी यही कोशिश हैं कि किसी तरह सुखपाल खैरा और कंवर संधू को छोड़ कर बाकी छह विधायकों को पार्टी के साथ लाया जाए।

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