एसटीएफ चीफ हरप्रीत सिंह सिद्धू के हटाए जाने के बाद पुलिस की सियासत में नए समीकरण बन गए हैं। 17 महीनों से डीजीपी सुरेश अरोड़ा के जाने का इंतजार कर रहे मोहम्मद मुस्तफा को आखिरकार उनके सामने नतमस्तक होना ही पड़ा। अब मुस्तफा सीधे तौर पर अरोड़ा को रिपोर्ट करेंगे। कांग्रेस के सत्ता में आने के बाद से ही मुस्तफा डीजीपी बनने के लिए जोरदार लॉबिंग कर रहे थे।
सीएमओ में दो दिन पहले ही तैयार कर ली गई थी रणनीति, लोस चुनाव तक पुलिस की यही टीम करेगी काम
मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह द्वारा सुरेश अरोड़ा को डीजीपी पद से न हटाए जाने को लेकर विपक्ष ने कैप्टन को भी लंबे समय तक कठघरे में खड़ा किया था। अरोड़ा को एक्सटेंशन दिए जाने की कवायद के बाद मुस्तफा जैसे अधिकारियों को भी उनके आगे हथियार डालने पड़ गए हैं।
पुलिस में चल रहे पावर गेम को खत्म करने के लिए सीएमओ में शनिवार को दो घंटे चली बैठक में मंथन किया गया। डीजीपी अरोड़ा को एक साल की एक्सटेंशन देने के बाद उनकी राह और आसान करने पर माथापच्ची हुई। नशे से लेकर विभिन्न मुद्दों पर अपने-अपने अहम की लड़ाई लड़ रहे डीजीपी रैंक के तीन-तीन अधिकारियों के बीच हरप्रीत सिद्धू का किरदार सबसे अहम हो गया था।
यही वजह रही कि कैप्टन ने सिद्धू को पुलिस की राजनीति से हटाकर अपने साथ जोड़ लिया। मुस्तफा को भी एसटीएफ की कमान देकर काम पर लगा दिया है। कांग्रेस ने यह सारी कवायद लोकसभा चुनाव के मद्देनजर भी की है। चुनाव तक पुलिस की यही टीम अब काम करेगी। चुनाव के बाद फिर से सरकार नए समीकरण बनाकर पुलिस अफसरों को उलझा सकती है।