पंजाब स्टेट पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड (पीएसपीसीएल) द्वारा उनके बिजली के खंबों से फास्ट वे के तार काटने के मामले में कंपनी ने 1000 करोड़ का निवेश होने की दलील देकर पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट से राहत की गुहार लगाई है।
याचिका पर हाईकोर्ट ने पीएसपीसीएल को झटका देते हुए याची कंपनी के तार काटने पर रोक लगा दी है। साथ ही सभी प्रतिवादियों को नोटिस जारी करते हुए जवाब दाखिल करने का आदेश दिया है।
याचिका दाखिल करते हुए फास्ट वे कंपनी ने एडवोकेट आयुष गुप्ता के माध्यम से बताया कि उन्होंने पंजाब में केबल नेटवर्क विस्तार के लिए पीएसपीसीएल से करार दिया था। इसके तहत कंपनी अपने तारों के लिए पीएसपीसीएल के खंबों का इस्तेमाल कर रही थी। कंपनी ने पूरे पंजाब में करीब 1000 करोड़ का निवेश किया है।
कंपनी ने बताया कि उनका करार मई में खत्म हो गया था और कंपनी ने इसे रिन्यू करने के लिए आवेदन भी किया था और सिविल सूट भी दाखिल किया था। इसके बावजूद करार को रिन्यू करने से इन्कार करते हुए उनके तार काटना शुरू कर दिए गए।
याची ने बताया कि पंजाब भर में 5 लाख से ज्यादा उपभोक्ता इससे सीधे तौर पर प्रभावित होंगे। ऐसे में पीएसपीसीएल की कार्रवाई पर रोक लगाई जाए और याचिकाकर्ताओं के करार को रिन्यू करने का आदेश दिया जाए। हाईकोर्ट ने सभी पक्षों को सुनने के बाद याचिका पर पंजाब सरकार व पीएसपीसीएल को नोटिस जारी किया है और साथ ही तार काटने पर रोक लगा दी है।