पंजाब में पराली जलाने पर 264 किसानों के लैंड रिकॉर्ड में रेड एंट्री की गई है। अब यह किसान भविष्य में किसी भी सरकारी योजना का लाभ नहीं ले सकेंगे। किसान सब्सिडी से भी वंचित रहेंगे। रेड एंट्री वाले किसान अपनी जमीन को न तो गिरवी रख सकेंगे और न ही इस पर लोन ले सकेंगे। यही नहीं जमीन को आगे बेच भी नहीं सकेंगे। पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (पीपीसीबी) के चेयरमैन आदर्श पाल विग ने माना कि पांच नवंबर तक के प्राप्त आंकड़ों के मुताबिक 264 किसानों के लैंड रिकार्ड में रेड एंट्री दर्ज की गई है।
उन्होंने कहा कि सरकार के लगातार जागरूक किए जाने के बावजूद किसान लगातार पराली जला रहे हैं। यह काफी चिंताजनक है। हालांकि, बीते दो सालों की तुलना में इस साल पराली जलाने के मामले घटे हैं। उम्मीद है कि आने वाले समय में किसानों में पराली जलाने का चलन और कम होगा।
बीते करीब 10 दिनों से पंजाब में पराली जलाने के 27 फीसदी तक बढ़े हैं। पर्यावरण सुरक्षा के मद्देनजर सरकार की ओर से बीते कई सालों से पराली को आग न लगाने के लिए किसानों को जागरूक किया जा रहा है। यहां तक कि इस साल किसानों को पराली प्रबंधन के लिए मशीनरी तक उपलब्ध कराई गई। बावजूद इसके किसान पराली जलाने से बाज नहीं आ रहे हैं। लगातार मामले बढ़ रहे हैं, जिससे फैल रहा प्रदूषण पंजाब के साथ-साथ दिल्ली के लोगों की सांसों के लिए आफत बन रहा है।
1694 किसानों पर 45.53 लाख रुपये का जुर्माना
पंजाब में एक तरफ जहां पराली जलाए जाने के मामले लगातार बढ़ रहे हैं, वहीं सरकार भी आरोपी किसानों के खिलाफ कार्रवाई करने से पीछे नहीं हट रही है। पीपीसीबी के आंकड़ों के मुताबिक पराली जलाने वाले 1694 किसानों के अब तक चालान काट कर उन पर 45.53 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया है। चेयरमैन आदर्श पाल विग के मुताबिक कानून का उल्लंघन करने वाले किसी भी किसान को बख्शा नहीं जाएगा। उन्होंने साफ किया कि किसान पराली में आग न लगाएं, बल्कि उपलब्ध खेतीबाड़ी मशीनों के जरिये पराली का प्रबंधन करके पर्यावरण को बचाने में सरकार का सहयोग करें।