नौतपा के चलते सूर्य का तेज सबसे अधिक प्रबल होता है। इसलिए ये नौ दिन सबसे अधिक तपने वाले माने जाते हैं। फिलहाल नौतपा 25 मई से आरम्भ हो चुका है तथा 3 जून तक चलेगा। हिंदू धर्मशास्त्रों में इस के चलते पेड़-पौधे लगाने तथा कुछ विशेष चीजों को दान करने की विशेष अहमियत है। कहा जाता है कि ऐसा करने से सालों तक न समाप्त होने वाला पुण्य प्राप्त होता है तथा अंजाने में हुए पाप कट जाते हैं। साथ ही पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
इस मौसम में गर्मी अपने चरम पर होती है, इसलिए पेड़-पौधों को लगाना बहुत शुभ माना जाता है। पेड़ पौधे छाया देने के साथ गर्मी के ताप को कम करते हैं। इसलिए इसे व्यक्तियों का कल्याण करने वाला कार्य माना जाता है। इस काम से जो पुण्य अर्जित होता है, वो लंबे वक़्त तक साथ रहता है। ज्योतिषाचार्य के अनुसार, नौतपा के बीच पीपल, बरगद, आम, नीम, बिल्वपत्र, आंवला तथा तुलसी के वृक्ष लगाने का खास महत्व है। इन पौधों को लगाने से कई गुणा फल प्राप्त होता है। साथ ही पितर तृप्त होते हैं। शास्त्रों में पेड़ को लगाने से अश्वमेध यज्ञ के समान पुण्य प्राप्त होने की बात कही गई है। साथ ही जीवन की कई समस्याओं के समाप्त होने की बात कही गई है।
नौतपा के समय गर्मी के कारण पेड़ पौधे सूखने लगते हैं, ऐसे में उन्हें पानी देना और पौधों की सेवा करना, जीवन देने के समान माना जाता है। ऐसा करने से भी कई गुणा पुण्य तो प्राप्त होता ही है, साथ ही पितरों को शांति प्राप्त होती है, जिससे उनका शुभाशीष मिलता है। नौतपा के बीच व्यक्तियों को अन्न, जल के अतिरिक्त जूते-चप्पल, छाता, वस्त्र, पानी से भरा हुआ घड़ा, सत्तू, पंखा, आम, खरबूजा, दही, गंगाजल आदि ठंडी चीजें तथा गर्मी से बचाव करने वाली चीजों को दान करना चाहिए।