नोटबंदी के बाद इलाहाबाद में संगम का घाट भी हुआ कैशलेस

अगर आप संगम तट पर कर्मकांड कराना चाहते हैं, परंतु नकदी की किल्लत से ऐसा नहीं कर पा रहे हैं, तो चिंतित न हों।img_20161210044317-1

आप बिना नकद दक्षिणा दिए भी सारा कर्मकांड करा सकते हैं। बशर्ते आपके पास डेबिट या क्रेडिट कार्ड हो।
जी हां, नोटबंदी के चलते संगम तट पर होने वाला कर्मकांड भी कैशलेस हो गया है। यजमानों एवं अपनी सुविधा को देखते हुए तीर्थपुरोहितों ने स्वाइप मशीन रखना शुरू कर दिया है। अब उनके एक हाथ में कर्मकांड की पोथी है और दूसरे में स्वाइप मशीन। इसके जरिये वह यजमान से ऑनलाइन दक्षिणा लेकर कर्मकांड करा रहे हैं।
कल्पवास का संकल्प दिलाने के साथ 12 साल की तपस्या पूर्ण होने पर शैयादान तीर्थ पुरोहित ही कराते हैं। इसके बाद यजमानों से जो दक्षिणा मिलता है, उसी से इनका घर चलता है। इधर नोटबंदी का असर संगम तट पर होने वाले कर्मकांड पर भी पड़ने लगा है।
प्रयाग में तीर्थ पुरोहितों की संख्या 50 हजार के लगभग है। इन्हें 112 तख्त-निशान आवंटित हैं। एक तख्त और निशान में सौ से पांच सौ लोगों का परिवार संचालित होता है। वह अलग-अलग घाटों में बैठकर साल भर गऊदान, पिंडदान, वेणीदान के साथ ही स्नानार्थियों से घाट पर पूजा कराते हैं। माघ मेला में इनकी कमाई का दायरा काफी बढ़ जाता है क्योंकि कल्पवासियों का सारा धार्मिक कृत्य तीर्थ पुरोहित ही कराते हैं।
तीर्थपुरोहितों को दक्षिणा के लाले पड़ गए थे। इसकी काट निकालते हुए तीर्थ पुरोहितों ने स्वाइप मशीन से दक्षिणा लेना शुरू कर दिया है। यह बात दीगर है कि जो दक्षिणा पहले उनकी जेब में आती थी वह अब उनके बैंक खाते में जाएगा।

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