नोटबंदी के बाद पहले आरबीआई और अब आयकर विभाग ने चौंकाने वाले आंकड़े जारी किए हैं। इन्हें पढ़कर आप भी हैरान रह जाएंगे।
नोटबंदी और आपरेशन क्लीन मनी की वजह से शहर में नए करदाताओं की संख्या अप्रत्याशित रूप से बढ़ रही है। विभाग के ताजा आंकड़े बताते हैं कि महज आठ माह के अंदर यानी एक अप्रैल से 20 नवंबर 2017 तक शहर में कुल 71,768 नए करदाता बढ़े हैं। यूपी और उत्तराखंड के किसी भी जिले में से यह सबसे ज्यादा बढ़ोतरी है। आयकर विभाग इन आंकड़ों से उत्साहित है।
प्रधान मुख्य आयकर आयुक्त अभय तायल ने बताया कि उनके अधीन आते क्षेत्र यूपी पश्चिम एवं उत्तराखंड (कानपुर रीजन) में वित्तीय वर्ष 2017-18 में 6,16,725 नए करदाता बढ़ाने का लक्ष्य मिला है। आठ माह में 60 फीसदी लक्ष्य हासिल कर लिया गया है। विभाग को यूपी पश्चिम और उत्तराखंड में ही कुल 3,67,506 नए करदाता हासिल हुए हैं। शेष चार माह में 40 फीसदी लक्ष्य पूरा करना है। इसके लिए व्यापक जन जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है।
नए करदाताओं में ज्यादातर वे लोग हैं जो नोटबंदी से पहले टैक्स जमा करने में कतराते थे। अथवा जानबूझकर टैक्स जमा नहीं करते थे। इनमें छोटे व्यापारी, दुकानदार, छोटे सेवा प्रदाता, पेशेवर और घरेलू महिलाएं हैं। इनके खातों में लेनदेन तो खूब होता था लेकिन टैक्स जमा नहीं करते थे। कानपुर आंकड़े सबसे ज्यादा उत्साहित करने वाले हैं। प्रधान मुख्य आयकर आयुक्त ने भरोसा जताया है कि वित्तीय वर्ष बीतने तक यह आंकड़ा एक लाख पार कर जाएगा।
कानपुर शहर में नए करदाताओं की वजह से महज आठ माह में 34 फीसदी टैक्स कलेक्शन बढ़ा है। वित्तीय वर्ष 2016-17 में शहर में कुल आयकर 1960 करोड़ रुपये जमा हुआ था। वहीं, 2017-18 में 20 नवंबर तक कुल 2632 करोड़ रुपये टैक्स जमा हो चुका है। इस तरह से महज आठ माह में शहर में 672 करोड़ रुपये टैक्स में बढ़ोतरी हुई है।
केंद्र सरकार के निर्देश पर आयकर विभाग ने 31 जनवरी 2017 को आपरेशन क्लीन मनी की शुरुआत की थी। इसे दो चरणों में बांटकर काम किया गया था। पहले चरण में नोटबंदी के दौरान बैंक खातों में हुए संदिग्ध लेनदेन की डाटा खंगाला गया। बड़ी संख्या में संदिग्ध डिपॉजिट सामने आए।
इसके बाद बैंक खातों में जमा मोटी रकम का मिलान आयकर विभाग में उसके रिटर्न से किया गया। पता चला कि बैंक में जमा रकम और रिटर्न में जमीन आसमान का अंतर है। ऐसे खाताधारकों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा गया। नतीजा ये हुआ कि जिन्होंने रिटर्न नहीं भरा था उन्होंने भी भरना शुरू किया। बड़ी संख्या में लोगों ने बैंकों में जमा अघोषित संपत्ति को घोषित किया और वाजिब करदाता बने।