नोटबंदी के कारण गत दिसंबर महीने में घरेलू बाजार में वाहनों की बिक्री में सदी की सबसे बड़ी गिरावट दर्ज की गयी। वाहन निमार्ता कंपनियों के संगठन सियाम द्वारा जारी आँकड़ों के अनुसार, देश में सभी श्रेणी के सभी वाहनों की कुल बिक्री 18.66 प्रतिशत घटकर 12,21,929 इकाई रह गयी।
– दिसंबर 2015 में यह आंकड़ा 15,02,314 इकाई था। यह दिसंबर 2000 के बाद की सबसे तेज गिरावट है।
– नोटबंदी के कारण पिछले साल नवंबर में भी वाहनों की बिक्री 5.48 प्रतिशत गिरी थी।
– सियाम के महानिदेशक विष्णु माथुर ने आंकड़े जारी करते हुये कहा ‘ऑटो उद्योग पर (नोटबंदी की) बुरी मार पड़ी है। यदि बजट में अर्थव्यवस्था को गति देने, उपभोग तथा लोगों की व्यय योग्य आय बढ़ाने के उपाय नहीं किये गये तो हम चालू वित्त वर्ष के अपने बिक्री के पूवार्नुमान को हासिल नहीं कर पायेंगे।’
– गत दिसंबर में सभी श्रेणियों में गिरावट देखी गयी। यात्री कारों की बिक्री 8.14 प्रतिशत घटी जो अप्रैल 2०14 के बाद की सबसे बड़ी गिरावट है। यह दिसंबर 2015 के 1,72,671 से घटकर 1,58,817 इकाई रह गयी। कारों, उपयोगी वाहनों तथा वैनों समेत यात्री वाहनों की कुल बिक्री में 1.36 प्रतिशत की कमी दर्ज की गयी जो अक्टूबर 2014 के बाद की सबसे बड़ी गिरावट है। इसमें उपयोगी वाहनों की बिक्री में हालांकि 29.94 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गयी और यह 58,309 इकाई रही।
– दुपहिया वाहनों की बिक्री में अब तक की रिकॉर्ड गिरावट देखी गयी। यह 22.04 प्रतिशत घटकर 9,10,235 इकाई रह गयी। सियाम ने वित्त वर्ष 1997-98 से वाहनों की बिक्री के आँकड़े रखने शुरू किये हैं और तब से इतनी बड़ी गिरावट पहले कभी नहीं देखी गयी। स्कूटरों की बिक्री में मार्च 2001 के बाद की सबसे बड़ी 26.38 प्रतिशत की गिरावट रही और यह घटकर 2,84,384 इकाई पर आ गयी। मोटरसाइकिलों की बिक्री भी 22.50 प्रतिशत घटकर 5,61,690 इकाई रह गयी जो दिसंबर 2008 के बाद की सबसे बड़ी गिरावट है।
– माथुर ने बताया कि कंपनियों के पास और डीलरशिप में काफी ज्यादा इनवेंटरी तैयार हो गयी है। कारों और यात्री वाहनों की एक महीने की इनवेंटरी तैयार हो गयी है। वाणिज्यिक वाहनों की इनवेंटरी कुछ कम है, लेकिन यदि जल्दी स्थिति में सुधार नहीं हुआ तो मुश्किलें बढ़ सकती हैं।
– उन्होंने कहा कि बढ़ती इनवेंटरी के मद्देनजर कंपनियों ने दिसंबर में उत्पादन में भी कटौती की। सिर्फ यात्री वाहनों का उत्पादन 2.13 प्रतिशत बढ़ा है, लेकिन वह भी उपयोगी वाहनों के कारण। वाणिज्यिक वाहनों का उत्पादन 19.33 प्रतिशत, तिपहिया वाहनों का 43.28 प्रतिशत तथा दुपहिया वाहनों का 25.18 प्रतिशत कम हुआ है। इस प्रकार सभी श्रेणी के वाहनों को मिलाकर कुल उत्पादन 21.76 प्रतिशत घटकर 12,37,347 इकाई रह गया है। उन्होंने कहा कि अब कंपनियों के सामने सबसे बड़ी चुनौती आने वाले तीन महीने में इस इनवेंटरी को बेचने की होगी।
– माथुर ने कहा कि वह आने वाले बजट में सरकार से लोगों पर आयकर का बोझ कम करने की उम्मीद करते हैं ताकि लेागों की खर्च करने योग्य आमदनी बढ़े जिससे वाहन उद्योग के साथ पूरी अर्थव्यवस्था पटरी पर आयेगी। उन्होंने रिजर्व बैंक से बैंकों ऋण की ब्याज दर कम करने के उपाय करने की भी उम्मीद जतायी। साथ ही कहा कि सरकार को वाहन उद्योग के लिए प्रोत्साहन पैकेज लेकर आना चाहिये।
उन्होंने उम्मीद जतायी कि नवंबर और दिसंबर में कमजोर रही ग्राहक धारणा अस्थायी है यदि बजट में इसमें सुधार के उपाय किये जाते हैं तो आने वाले समय में बिक्री बढ़ेगी। उन्होंने कहा कि कमजोर ग्राहक धारणा के कारण लोग अभी खरीददारी टाल रहे हैं, लेकिन माँग कम नहीं हुयी है। यदि स्थिति सुधरती है तो हो सकता है एकाएक बिक्री में जबरदस्त बढ़ोतरी देखी जाये। उन्होंने बताया कि दिसंबर के अंतिम सप्ताह में खुदरा बिक्री में कुछ सुधार के संकेत दिखे हैं।