दिल्ली हाई कोर्ट द्वारा मेट्रो कर्मचारियों की हड़ताल पर रोक लगाए जाने के बाद दिल्ली मेट्रो रेल निगम (डीएमआरसी) कर्मचारी यूनियन व स्टाफ काउंसिल की शुक्रवार देर रात संयुक्त बैठक हुई।
इसके बाद कर्मचारियों ने अदालत का फैसला स्वीकार करते हुए फिलहाल हड़ताल स्थगित कर दी है। दिल्ली मेट्रो स्टाफ काउंसिल के महासचिव रवि भारद्वाज ने कहा कि हम अपनी बात अदालत में रखने जाएंगे।
हड़ताल अभी स्थगित की गई है, रद नहीं की गई है। कर्मचारियों का आरोप है कि डीएमआरसी ने पिछले साल जुलाई में वेतन वृद्धि से संबंधित दिए गए आश्वासन को पूरा नहीं किया है।
कर्मचारियों को पांच साल पर पदोन्नति देने का प्रावधान है पर कर्मचारी 10 साल से एक ही पद पर काम कर रहे हैं।
वहीं, डीएमआरसी के अधिकारियों का कहना है कि पिछले साल के वादे के अनुसार एक जुलाई 2015 से नया वेतनमान लागू कर दिया गया।
इससे डीएमआरसी के बजट पर 92 करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ बढ़ा। वेतन वृद्धि के बाद गैर कार्यपालक कर्मचारियों के ग्रेड वेतमान की अधिकतम राशि अधिकारियों के ग्रेड वेतनमान की न्यूनतम राशि के बराबर हो गई है।
इसलिए गैर कार्यपालक कर्मचारियों के वेतन में और इजाफा संभव नहीं है। दिक्कत यह भी है कि कई कर्मचारी एनटीपीसी जैसी कंपनियों के कर्मचारियों के वेतनमान से तुलना करते हैं और उनके बराबर वेतनमान की मांग करते हैं, जबकि उन कंपनियों में कर्मचारी दुर्गम क्षेत्र में भी ड्यूटी करते हैं।
इससे पहले दिल्ली हाई कोर्ट ने मेट्रो कर्मचारियों की शनिवार से प्रस्तावित हड़ताल पर रोक लगा दी थी। सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने कहा था कि दिल्ली मेट्रो वर्तमान समय में दिल्ली की लाइफलाइन बन चुकी है और यह जनसेवा के आधार पर चलती है।
इसका परिचालन बाधित होने पर दिल्ली की करीब एक चौथाई आबादी पर असर पड़ेगा। हाई कोर्ट ने स्पष्ट किया था कि अगर आदेश के बावजूद मेट्रो कर्मचारी हड़ताल पर जाते हैं तो उनपर अदालत की अवमानना का मामला चलाया जाएगा। दिल्ली मेट्रो के नौ हजार कर्मचारियों ने 30 जून से अनिश्चितकालीन हड़ताल की घोषणा की थी।
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