काठमांडू : सीपीएन-यूएमएल अध्यक्ष के.पी. शर्मा ओली गुरुवार को दूसरी बार नेपाल के प्रधानमंत्री बन गए. ओली के वामपंथी गठबंधन ने करीब दो महीने पहले हुए संसदीय और स्थानीय चुनावों में नेपाली कांग्रेस को हराया था. राष्ट्रपति बिद्या देवी भंडारी ने 65 वर्षीय ओली को प्रधानमंत्री नियुक्त किया. ओली को चीन के प्रति नरम रुख रखने वाला नेता माना जाता है. इससे पहले वे 11 अक्तूबर, 2015 से 3 अगस्त, 2016 तक नेपाल के प्रधानमंत्री रह चुके हैं.
शेर बहादुर देउबा ने गुरुवार सुबह प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दिया. ये इस्तीफा उन्होंने हाल ही में संसदीय चुनाव के परिणाम आने के बाद दिया है. इस चुनावों में नेपाली कांग्रेस को बुरी हार का सामना करना पड़ा. चुनावों में जीत के बाद सीपीएन-यूएमएल ने पार्टी अध्यक्ष केपी शर्मा ओली को अपना नेपाल के अगले पीएम के तौर पर चुना. 65 साल के ओली की नेपाल में छवि चीन समर्थक के तौर जानी जाती है. ललितपुर में स्टैंडिंग कमेटी के आयोजन में ओली का नाम पीएम के लिए तय किया गया.
शेर बहादुर देउबा ने देश को संबोधित करने के बाद अपना इस्तीफा राष्ट्रपति को सौंप दिया. देश में हुए ऐतिहासिक संसदीय और स्थानीय चुनावों में पार्टी की बुरी हार के करीब दो महीने बाद देउबा ने इस्तीफा दिया है. देउबा ने हालांकि स्थानीय, प्रांतीय और संघीय चुनावों को सफलतापूर्वक कराने की जिम्मेदारी पूरा करने का दावा किया . उन्होंने गुरुवार सुबह टीवी पर राष्ट्र के नाम पर संबोधन में यह बात कही. देउबा ने अपने आठ माह की कई उपलब्धियों का जिक्र किया. इसमें कूटनीतिक रिश्ते और आर्थिक समृद्धि शामिल है.
कई दलों का गठबंधन
प्रधानमंत्री पद के लिए ओली का समर्थन यूसीपीएन-माओवादी, राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी नेपाल और मधेशी राइट्स फोरम डेमोक्रेटिक के अलावा 13 अन्य छोटी पार्टियों ने किया है.
इस्तीफा पहले कैबिनेट की मीटिंग
नेपाली कांग्रेस के अध्यक्ष शेर बहादुर देउबा ने पीएम पद से इस्तीफा देने से पहले अपनी कैबिनेट की अंतिम मीटिंग निवास पर बुलाई थी. इससे पहले देउबा तब तक इस्तीफा देने के मूड में नजर नहीं आ रहे थे, जब तक सीपीएन-यूएमल अध्यक्ष केपी शर्मा नए पीएम को घोषित नहीं करते. जैसे ही इस गठबंधन ने इसकी घोषणा की तो देउबा ने इस्तीफा देने का निर्णय ले लिया.
नई सरकार को प्रचंड का समर्थन
ओली की पार्टी सीपीएन-यूएमएल को अगली सरकार बनाने के लिए समर्थन की जरूरत थी, जिसे प्रचंड की पार्टी सीपीएन माओवादी समर्थन दे रही है. सुप्रीम कोर्ट भी सीपीएन-यूएमल और सीपीएन माओवादी सेंटर के विलय को मंजूरी दे चुका है.
275 में से 174 सीटों पर गठबंधन दलों की जीत
सीपीएन-यूएमएल के मोर्चे के गठबंधन ने 275 में से 175 सीटें जीती हैं, जिसका नेतृत्व ओली और सीपीएन- माओवादी सेंटर के प्रचंड कमल दहल कर रहे हैं.
नेपाल की संसद
हाउस ऑफ रेप्रिज़ेन्टटिव्स के लिए चुनाव दो चरणों में कराया गया था. इसमें पहले चरण को 26 जनवरी और दूसरे चरण में 7 दिसंबर को मतदान कराया गया था. बता दें कि नेपाल की संसद के निम्न सदन में कुल 275 सीटें हैं, जबकि नेशनल असेंम्बली (उच्च सदन) में 59 सीटें हैं.