बिहार विधानसभा चुनाव का सियासी तापमान जैसे-जैसे बढ़ रहा है वैसे-वैसे नीतीश कुमार पर लोक जनशक्ति पार्टी (एलजेपी) प्रमुख चिराग पासवान हमलावर होते जा रहे हैं. चिराग पासवान ने इस बार गोपालगंज के सत्तरघाट पुल के ध्वस्त हो जाने को लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस नीति पर सवाल खड़े किए हैं. ऐसे में क्या एलजेपी बिहार में एनडीए से अलग होने का मन तो नहीं बना रही है?

बिहार में एनडीए के बीजेपी, जेडीयू और एलजेपी के बीच सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है. एनडीए में नीतीश कुमार के चेहरे को लेकर बीजेपी ने भले ही हरी झंडी दे दी है, लेकिन चिराग पासवान के तेवर को देखकर नहीं लगता है कि एलजेपी सहमत है. एक तरफ एलजेपी 94 सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी का ऐलान करती है तो दूसरी तरफ नीतीश कुमार पर हमलावर भी नजर आ रही है.
बिहार के गोपालगंज के सत्तरघाट पुल के ध्वस्त हो जाने को लेकर चिराग पासवान ने ट्वीट कर नीतीश कुमार पर निशाना साधा है. उन्होंने कहा कि 264 करोड़ की लागत से बने पुल का एक हिस्सा ध्वस्त हो गया है. जनता के पैसे से किया कोई भी कार्य पूरी गुणवत्ता से किया जाना चाहिए था. इस तरह की घटनाएं जनता की नजर में जीरो टॉलरेंस पर सवाल उठाती है. एलजेपी मांग करती है कि उच्च स्तरीय जांच कर जल्द दोषियों पर कड़ी कार्रवाई करें.
चिराग पासवान ने पहली बार नीतीश कुमार पर सवाल नहीं खड़े किए हैं. इसके पहले भी नीतीश से नाराज चिराग पासवान कई बार गठबंधन धर्म के विरुद्ध जाकर बयानबाजी कर चुके हैं.
हाल ही में दिल्ली में एलजेपी के संसदीय बोर्ड की बैठक में यह कहा गया था कि, एलजेपी बिहार में 94 सीट पर चुनाव लड़ने के लिए तैयार है. इसके अलावा बाकी सीटों पर भी एलजेपी की तैयारी चल रही है. इससे साफ जाहिर है कि एनडीए में सीट शेयरिंग को लेकर सहमति नहीं बन रही है.
चिराग पासवान में आरजेडी नेता और नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव के सुर में सुर मिलाते हुए बिहार विधानसभा चुनाव टालने की वकालत कर चुके हैं. चिराग पासवान के इस रवैये पर इशारों इशारों में डिप्टी सीएम सुशील कुमार मोदी भी कई बार नसीहत देने की कोशिश कर चुके हैं. इसके बावजूद चिराग पासवान लगातार नीतीश कुमार पर सवाल खड़े कर रहे हैं.
नीतीश कुमार के खिलाफ चिराग के बागी तेवर को प्रेशर पॉलिटिक्स के तौर पर भी देखा जा रहा है. एलजेपी पिछले विधानसभा चुनाव के तर्ज पर इस बार सीटों का बंटवारा चाहती है, जिस पर एनडीए के बाकी दल सहमत नहीं हैं. 2015 के बिहार चुनाव में एलजेपी बीजेपी के सहयोगी के तौर पर 42 सीटों पर चुनाव लड़ी थी, लेकिन इस बार नीतीश कुमार की एनडीए में वापसी के बाद एलजेपी को पिछली बार की तरह तवज्जो नहीं मिल पा रही है. इसीलिए चिराग पासवान चिंतित नजर आ रहे हैं.
लोकसभा चुनाव में एलजेपी को बिहार की 40 में से 6 सीटें दी गई थीं. इसके अलावा रामविलास पासवान को बीजेपी ने अपने कोटे से राज्यसभा भेजा है. इसी पैटर्न के तहत एलजेपी विधानसभा चुनाव में करीब 43 सीटों पर दावेदारी कर रही है. वहीं, बिहार की 243 सीटों में से बीजेपी-जेडीयू 105-105 सीटों पर चुनाव लड़ने का मन बना रही हैं और शेष 33 सीटें एलजेपी को देना चाहती है, जिस पर चिराग पासवान राजी नहीं हैं. ऐसे में चिराग पासवान ने नीतीश कुमार के खिलाफ हमलावर होकर कहीं एनडीए से अलग होने का रास्ता तो नहीं तलाश रहे हैं.
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