नीट रिजल्ट की घोषणा और काउंसलिंग प्रक्रिया शुरू होने से पहले मेडिकल छात्रों को तगड़ा झटका लग सकता..

नीट रिजल्ट की घोषणा और काउंसलिंग प्रक्रिया शुरू होने से पहले मेडिकल छात्रों को तगड़ा झटका लग सकता है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के सूत्रों ने कहा कि राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) ने अपनी जांच में कुल 40 मान्यता प्राप्त मेडिकल कॉलेजों में खामियां पाई हैं। इनमें कॉलेजों की अपील के बाद तथा आवश्यक प्रक्रिया पूरी करने के बाद 20 की मान्यता जारी रखने का फैसला किया है। जबकि शेष 20 कॉलेजों के मामले लंबित हैं। इनमें से नौ की सीटों में कटौती करने का फैसला किया गया है। शेष के मामले में अभी प्रक्रिया चल रही है। एनएमसी ने कुछ दिनों पहले नियमों का उल्लंघन करने पर करीब 40 मेडिकल कॉलेजों की मान्यता रद्द कर दी थी। इन कॉलेजों में सीसीटीवी कैमरे, आधार बेस्ड अटेंडेंस बायोमेट्रिक सिस्टम जैसी कुछ जरूरी सुविधाओं का अभाव पाया गया था। फैकल्टी के नजरिए से भी कमियां नजर आईं।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक एनएमसी ने तमिलनाडु के गवर्नमेंट स्टेनली मेडिकल कॉलेज और गवर्नमेंट धर्मापुरी मेडिकल कॉलेज की मान्यता बहाल कर दी है। मान्यता छीने जाने का आदेश वापस ले लिया गया है। इन दोनों कॉलेज में नीट यूजी एडमिशन की अनुमति दे दी गई है। तमिलनाडु के उपरोक्त दोनों कॉलेजों के अलावा केएपी विश्वनाथम गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज त्रिची की मान्यता भी वापस ले ली गई थी। 

इसके अलावा असम मेडिकल कॉलेज, डिब्रूगढ़, गुवाहाटी मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल, फखरुद्दीन अली अहमद मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (एफएएएमसी) बारपेटा ने भी अपनी मान्यता खो दी। इसके अलावा पुड्डेचरी से इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट (आईजीएमसी एंड आरआई) भी इस लिस्ट में थे। एनएमसी के इस फैसले करीब 40 मेडिकल कॉलेजों की लगभग 3800 एमबीबीएस सीटें खतरे में हैं। 

नीट काउंसलिंग 2023 के शुरू होने से पहले एमबीबीएस सीटों के कम होने की आशंका मेडिकल छात्रों के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है। नीट रिजल्ट जारी होने वाला है। एमबीबीएस के नए बैच की काउंसलिंग जुलाई माह में संपन्न हो सकती है। मेडिकल कॉलेजों में पढ़ रहे एमबीबीएस छात्र भी एनएमसी के इस कदम से टेंशन में हैं। उन्हें अपनी डिग्री की वैधता की टेंशन सता रही है। 

छात्र नाराज
150 एमबीबीएस सीटों वाले केएपीवी मेडिकल कॉलेज त्रिची के एक छात्र ने कहा, ‘जहां तक इंफ्रास्ट्रक्चर का मामला है, ‘हमारे पास एक अच्छा खेल का मैदान नहीं है, लेकिन यहां फैकल्टी की संख्या ठीक है। क्लास रेगुलर होती है। नए अटेंडेंस सिस्टम के कारण मान्यता वापस लेना और छात्रों के करियर को जोखिम में डालना कोई उचित कारण नहीं है।

फेडरेशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन (FORDA) के अध्यक्ष डॉ अविरल माथुर ने कहा कि NMC द्वारा मेडिकल कॉलेजों की मान्यता वापस लेना पढ़ाई के स्तर को बेहतर बनाए रखने के लिए एक सकारात्मक कदम है लेकिन इसके साथ छात्रों के समक्ष आने वाली दिक्कतें और हेल्थकेयर के गैप को दूर करने पर ध्यान देना चाहिए। 

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