कोरोना संकट का सबसे बुरा दौर खत्म हो गया है और इकोनॉमी समेत कई दूसरी चीजें पटरी पर आती दिख रही हैं। इस संकट के चलते जो वित्तीय दुश्वारियों से गुजर रहे हैं वे बदली परिस्थितियों से बहुत ज्यादा उत्साहित नहीं होंगे। लेकिन जो निवेशक हैं और शेयर बाजारों में सुधार से अति उत्साहित होते दिख रहे हैं, उन्हें भी सावधान रहने की जरूरत है। अप्रत्याशित की उम्मीद जितनी अधिक होगी, उससे निपटने की तैयारी उतनी ज्यादा होगी और नुकसान उसी हिसाब से कम होगा।
कोराना संकट का क्या असर हो सकता है यह काफी हद तक दिख रहा है। और हम सबसे बुरे दौर को पार कर अब काफी बेहतर हालात में हैं। कोरोना वायरस अब भी बहुत से लोगों को शिकार बनाएगा लेकिन महामारी का सबसे बुरा दौर खत्म हो चुका है। आर्थिक मोर्चे पर भारत की रिकवरी काफी तेज रही है और वैक्सीन के मोर्चे पर भी अच्छी खबरें आ रहीं हैं। हालांकि, मुझे फार्मा इंडस्ट्री के काम करने के तौर-तरीकों लेकर संदेह है।
यहीं एक समस्या छिपी हुई है। खतरा यह है कि इन अच्छी खबरों के बीच लोग एकदम से बहुत ज्यादा उत्साह में नहीं आ जाएं। व्यक्तिगत या पेशेवर स्तर पर वित्तीय समस्या का सामना कर रहे लोगों की तादाद करोड़ों में है, और वे ज्यादा उत्साहित नहीं होंगे। लेकिन निवेशकों के लिए उत्साहित होने का मौका है, क्योंकि शेयर बाजारों के बड़े और प्रमुख सूचकांक नई ऊंचाई पर हैं। त्योहार का सीजन कारोबार के लिहाज से काफी अच्छा चल रहा है। ऐसे में बहुत से निवेशक व्यक्तिगत स्तर पर रकम के लिहाज से काफी अच्छा महसूस कर सकते हैं।
मानसिकता के नजरिये से मुझे उन लोगों के लिए खुशी होगी जो ऐसा महसूस कर रहे हैं। हालांकि पिछले कुछ महीनों ने हमें अगर कोई चीज सिखाई है तो वह वह है चौंकाने वाली नकारात्मक घटनाओं की ताकत। इन घटनाओं से हमें यह सबक नहीं मिलता है कि बेहतर अनुमान लगाएं, या सब कुछ इन अनुमानों की सटीकता पर निर्भर है। असल सबक यह है कि अत्प्रयाशित घटनाएं जल्दी-जल्दी होंगी। आप सोचकर देखिए कि क्या कोई ऐसी घटना हो सकती है जो दुनिया का आर्थिक उत्पादन एक साल में 10 प्रतिशत तक घटा दे? हां, निश्चित तौर पर। क्या इसका उलटा भी हो सकता है? क्या ऐसी घटना भी हो सकती है जो दुनिया के आर्थिक उत्पादन को 10 फीसद तक बढ़ा दे? ऐसा चमत्कार होने की संभावना लगभग शून्य है।
ऐसी चीजें इस बात पर निर्भर करती हैं कि वे किस पैमाने पर हो रही हैं। किसी एक व्यक्ति के जल्द अमीर बनने की संभावना बहुत ज्यादा है, दुनिया में कुछ लोगों के साथ ऐसा रोज होता है। यही किसी एक सेक्टर, देश या पूरी दुनिया के लिए होने की संभावना कम है। दायरा बड़ा होता जाता है तो संभावना घटती जाती है। लेकिन नकारात्मक झटके का आकार और गति हमेशा ज्यादा और तेज होने की संभावना रहती है। यह सिर्फ फाइनेंस की दुनिया में नहीं, बल्कि आम जीवन में भी उतना ही सच है। इस पूरी कहानी का मतलब बहुत साफ है। हालांकि इसे लागू करना इतना आसान नहीं है। हमेशा अप्रत्याशित की उम्मीद करें। एक पुरानी कहावत है कि सबसे खराब के लिए तैयार रहते हुए सबसे बेहतर की उम्मीद करें।