नागरिकता संशोधन कानून के समर्थन में उतरे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने कानून को लेकर भारत की ओर अंगुली उठा रहे देशों को सख्त हिदायत दी है। ननकाना साहिब गुरुद्वारे पर हमले के ठीक एक दिन बाद संघ के वरिष्ठ नेता इंद्रेश कुमार ने कहा, पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के प्रताड़ित अल्पसंख्यकों को खुद नहीं अपनाने वाले देश इस कानून पर भारत को कोई उपदेश न दें।

इंद्रेश कुमार ने कहा, अब तक एक भी राष्ट्र ने इन प्रवासियों का दर्द नहीं समझा और इनके लिए अपने दरवाजे नहीं खोले हैं। यही नहीं ताज्जुब इस बात की है कि अपनी इस नाकामी पर शर्म करने के बजाय ये देश भारत को नैतिकता का उपदेश दे रहे हैं।
आखिर इनकी इतनी हिम्मत कैसे हो रही है। कुमार ने स्पष्ट किया कि इन देशों को हमें सीख देने का दुस्साहस नहीं करना चाहिए। उन्होंने कहा, दुनिया में 50 इस्लामी, 105 ईसाई और 30 बौद्ध बहुल्य देश हैं लेकिन आज तक एक ने भी पाक, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से अल्पसंख्यकों पर अत्याचार रोकने को नहीं कहा और इनका ऐसा करने का इरादा भी नहीं है।
संघ नेता ने कहा, जो देश अपने धर्म के लोगों की सुध नहीं ले सकते और उन्हें स्वीकार नहीं करते उन्हें स्वीकार कर लेना चाहिए के वे मानवता विरोधी हैं। ऐसे देश धर्म निरपेक्ष भी नहीं हो सकते। कुमार ने कहा, एक भी इस्लामी, ईसाई और बौद्ध देश ने अत्याचार झेल रहे अपने धर्म के लोगों को नागरिकता देने की भी घोषणा नहीं की है।
सीएए का विरोध कर रहे लोगों पर निशाना साधते हुए इंद्रेश कुमार ने कहा, प्रदर्शनकारियों को विरोध तो अल्पसंख्यकों पर अत्याचार करने वाले तीनों देशों का करना चाहिए। भारत तो हमेशा प्रताड़ितों को राहत देता रहा है।
उन्होंने कहा, यह एक साथ खड़े होकर दुनिया को यह बताने का वक्त है कि भारत अत्याचार सहने वालों के साथ खड़ा होता है और उन्हें अपनाता है। फिर चाहें वे ईरानी हों, इस्राइल से आए यहूदी हों। भारत ने युगांडा, श्रीलंका, भूटान, पाकिस्तान और बांग्लादेश से आने वाले प्रवासियों को हमेशा जगह दी है। आज इस कानून का विरोध छोड़कर पूरे देश को एकजुट होने की जरूरत है।
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