नई दिल्ली। कश्मीर मुद्दो को यूएन में दोबारा उठाने का फैसला करके नवाज ने सबसे बड़ी गलती कर दी है।
पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज शरीफ रविवार को न्यू यॉर्क पहुंचे हैं। यहां यूनाइटेड नेशन (UN) में वह कश्मीर के मुद्दे को उठाएंगे। नवाज शरीफ बुधवार को UN की जनरल असेंबली को संबोधित करने वाले हैं।

कोशिश में कई समस्याएं
पाकिस्तान की इस कोशिश के साथ कई समस्याएं हैं। पाकिस्तान के अपने ही हाथ पूरी तरह से खून में सने हुए हैं। वह न केवल भारत में आतंकी हमलों को लेकर संदिग्ध है बल्कि अमेरिका में भी पाकिस्तान बुरी तरह से घिरा हुआ है। ऐसे में नवाज शरीफ किस मुंह से कश्मीर का मुद्दा UN में उठाएंगे।
उरी हमला दुनिया की नजर में
इसके अलावा इस्लामाबाद के नाम UN के कई प्रस्तावों के उल्लंघन मामला है। दूसरी तरफ कश्मीर पर नवाज शरीफ यूएन के प्रस्ताव का हवाला देंगे। जाहिर है कश्मीर के उड़ी में आर्मी हेडक्वार्टर पर हमला कर 17 सैनिकों को मारने का ताजा मामला भी इंटरनैशनल कम्युनिटी के ध्यान में रहेगा।
अमेरिका ने उरी हमले की कड़ी निंदा की
18 सितंबर को तड़के कश्मीर में इंडियन आर्मी बेस पर हुए आतंकी हमले की अमेरिका ने कड़ी निंदा की है। उड़ी में आतंकी हमले पर तत्काल प्रतिक्रिया देते हुए अमेरिकी स्टेट डिपार्टमेंट ने कहा कि अमेरिका आतंकवाद का मुकाबला करने के लिए भारत के साथ मजबूती से खड़ा है। नई दिल्ली ने उड़ी में आतंकी हमले के लिए पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद को जिम्मेदार ठहराया है।
यूएन में पाक को धरेगा भारत
शरीफ कश्मीर के मुद्दे को अंतर्राष्ट्रीय मंच पर जोर शोर से उठाने की तैयारी कर रहे हैं। पाकिस्तानी अधिकारियों ने कश्मीर में भारत की तरफ से कथित उल्लंघनों का खाका तैयार किया है।
दूसरी तरफ भारतीय डिप्लोमैट्स भी इस मामले में करारा जवाब देंगे। यहां तक कि यूनाइटेड नेशन जनरल असेंबली मेंबर्स की भी इस आरोप-प्रत्यारोप पर नजर बनी है। लेकिन कश्मीर पर UN के जिस प्रस्ताव के बारे में पाकिस्तान बात करता है उसकी हकीकत कुछ और है। इस प्रस्ताव में साफ कहा गया है पाकिस्तान पहले अपने कब्जे वाले कश्मीर को मुक्त करे तब ही जनमत संग्रह की बात वह कर सकता है।
पाक को अमेरिका नहीं दे रहा तवज्जो
वॉशिंगटन ने भी पाकिस्तान इन कदमों को तवज्जो नहीं दी। अमेरिकी स्टेट डिपार्टमेंट के प्रवक्ता जॉन किर्बी से कश्मीर पर अमेरिकी रुख के बार में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि अमेरिकी रुख में कोई बदलाव नहीं आया है।
उन्होंने कहा कि कश्मीर भारत-पाकिस्तान के बीच का द्विपक्षीय मामला है और दोनों को बातचीत कर सुलझाना चाहिए। चीन की तरफ से पाकिस्तान को मिलने वाले सामयिक समर्थन को छोड़ दिया जाए तो वह फिलहाल इंटरनैशनल मंच पर अलग-थलग पड़ चुका है। यहां तक कि अफगानिस्तान और ईरान के साथ भी उसके संबंध सामान्य नहीं हैं।
इंडिया को उम्मीद है कि पाकिस्तान पर इंटरनैशनल दबाव बनाने में वह कामयाब रहेगा। पश्चिमी देशों में हुए आतंकी हमलों के बाद से पाकिस्तान पर चौतरफा उंगली उठ रही है। जिन आतंकियों को यूएन ने प्रतिबंधित किया है उन्हें पाकिस्तान पनाह देता रहा है।
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