उपवास हमारे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को परिष्कृत करता है, लेकिन अगर कोई व्यक्ति मधुमेह (डायबिटीज) और हाई ब्लड प्रेशर से ग्रस्त है तो उपवास रखते समय उसे सजगता बरतना जरूरी है उपवास रखने का निर्णय व्यक्तिगत है, परंतु उपवास से जुड़ी स्वास्थ्य संबंधित जटिलताओं के बारे में सावधानी से विचार करने के बाद ही निर्णय लें। अपने डॉक्टर से भी सलाह अवश्य लें। टाइप-1 डायबिटीज के रोगी और जिन लोगों की ब्लड शुगर अनियंत्रित है, उन्हें व्रत नहीं रखना चाहिए।
रख सकते हैं उपवास
- आहार और व्यायाम के माध्यम से अच्छी तरह से संतुलित टाइप-2 डायबिटीज में उपवास से संबंधित समस्याओं के होने का खतरा कम होता है। इसलिए ऐसे व्यक्ति उपवास रख सकते हैं।
- दवाओं से डायबिटीज नियंत्रित रखने वाले लोग एहतियात के साथ नवरात्र का व्रत रख सकते हैं।
न रखें व्रत
- जिन लोगों की ब्लड शुगर नियंत्रित न हो या डायबिटीज से संबंधित कोई जटिलता हो।
- जो लोग इंसुलिन लेते हैं, उन्हें नवरात्र में व्रत नहीं रखना चाहिए।
बच लो शुगर से
उपवास के दौरान बहुत से लोग लंबे समय तक भोजन के बगैर रहते हैं। यह स्थिति डायबिटीज से ग्रस्त लोगों के लिए लो शुगर (हाइपोग्लाइसीमिया) का कारण हो सकती है। लो शुगर के लक्षण आसानी से पहचाने जा सकते हैं। लो शुगर हो जाने पर शहद, ग्लूकोज या चीनी लेने से शुगर के स्तर को ठीक भी किया जा सकता है, परंतु कभी-कभी लो शुगर होने से व्यक्ति बेहोश हो सकता है। इसीलिए मधुमेह से ग्रस्त लोगों को व्रत के दौरान भी हर तीन-चार घंटे पर कुछ खाना आवश्यक है। लो शुगर के लक्षण आमतौर पर 70 एमजी/ डीएल से कम के शुगर लेवल होने पर आते हैं। ये लक्षण हैं अचानक पसीना आना, कमजोरी महसूस होना, हाथों और पैरों में कंपन आदि।
हाई शुगर
(हाइपरग्लाइसीमिया) उपवास रखने से रक्त में शुगर लेवल के बढ़ने का खतरा होता है। तमाम लोग व्रत में इंसुलिन लगाना और दवा खाना छोड़ देते हैं। इस कारण रक्त शर्करा बढ़ जाती है। नवरात्र के दौरान खाए जाने वाले आहार में फैट (वसा) और कार्बोहाइड्रेट काफी मात्रा में होता है, जैसे आलू, साबूदाना और तले हुए खाद्य पदार्थ आदि। इस प्रकार का खाना रक्त शर्करा बढ़ा देता है।
डीहाइड्रेशन से बचें
डायबिटीज वालों को हाई ब्लड शुगर के अलावा डीहाइड्रेशन का खतरा अधिक रहता है। इसलिए व्रत में तरल पदार्थ जैसे- नारियल पानी, नींबू पानी और लस्सी लेते रहना चाहिए।
डीहाइड्रेशन के लक्षण हैं-
अधिक थकान, असामान्य प्यास, असामान्य रूप से गाढ़े रंग की पेशाब होना, सांस लेने में तकलीफ आदि।
रखें ध्यान
- उपवास रखने से पहले डॉक्टरी सलाह जरूर लें। डॉक्टर आपकी दवा की खुराक (डोज) में परिवर्तन की सलाह दे सकते हैं। हाई ब्लड प्रेशर की दवाओं की खुराक के बारे में भी सलाह लें। डॉक्टरी सलाह के बिना कभी भी दवा न छोड़ें।
- एक समय पर थोड़ा खाएं और हर तीन से चार घंटे में कुछ न कुछ खाएं।
- ऐसे खाद्य पदार्थ खाएं, जो ब्लड शुगर को ज्यादा न बढ़ाए और आपका पेट भी भरे, जैसे लौकी,कूटू का चीला, खीरे का रायता, पनीर, मौसमी फल,
- नारियल पानी और सांवा के चावल। सांवा के चावल फाइबर और विटामिंस के उच्च स्रोत हैं।
- अगर हाइड्रोजनीकृत वनस्पति तेल में खाद्य पदार्थों को तैयार किया जाएगा तो वह हानिकारक सिद्ध होगा।
- डायबिटीज से ग्रस्त लोग नियमित अंतराल पर फल, बादाम, अखरोट और भुना हुआ मखाना आदि खा सकते हैं।
नियमित शुगर जांच
उपवास के दौरान डायबिटीज वाले लोगों को ब्लड शुगर की जांच दिन में तीन से चार बार करना आवश्यक है। यह सुझाव उन लोगों के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, जो दवा या इंसुलिन लेते है।
उच्च वसायुक्त खाद्य पदार्थ न लें
कुछ लोग नवरात्र में उपवास के बहाने तले हुए आलू, मूंगफली, चिप्स, पापड़, पूड़ी आदि खाते हैं। इन सब में फैट और नमक की मात्रा अधिक होती है और फाइबर कम होता है। ऐसा खानपान डायबिटीज और हाई ब्लड प्रेशर से पीड़ित लोगों के लिए नुकसानदेह है।
नमक की संतुलित मात्रा
नवरात्र के दौरान अनेक लोग नमक वाले खाद्य पदार्थों से परहेज करते हैं। आठ या नौ दिन तक नमक के बगैर रहने से आप कमजोरी महसूस करेंगे और ब्लड प्रेशर सामान्य से नीचे गिर सकता है। नवरात्र के दौरान सेंधा नमक का सेवन किया जा सकता है, परंतु चिप्स और नमकीन न लें।