प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तुलना छत्रपति शिवाजी महाराज से करने वाली किताब को लेकर विवाद हो गया है. कांग्रेस, शिवसेना और एनसीपी ने इसका कड़ा विरोध किया है. शिवसेना के सीनियर नेता और राज्यसभा सांसद संजय राउत ने इसे अपमानजनक बताया है. उन्होंने मांग की कि इस किताब पर बैन लगाया जाए. इसके अलावा कांग्रेस ने भी इसका विरोध किया है. एनसीपी और संभाजी भिड़े ने इसके खिलाफ पुणे में प्रदर्शन किया. इस विवादित किताब को बीजेपी के सदस्य जय भगवान गोयल ने लिखी है.

संजय राउत ने कहा, ”बीजेपी नेता ने ‘आज के शिवाजी: नरेंद्र मोदी’ किताब लिखी है, जो हमें अपमानजनक प्रतीत होती है. पार्टी को यह स्पष्ट करना चाहिए कि क्या वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को शिवाजी महाराज की तरह महान मानती है.’’ उन्होंने कहा, ‘‘हम प्रधानमंत्री मोदी का सम्मान करते हैं, लेकिन किसी की तुलना शिवाजी महाराज से करना स्वीकार्य नहीं है.” उन्होंने साथ ही कहा कि मराठा योद्धा के वंशजों को यह स्पष्ट करना चाहिए कि उन्हें मोदी की तुलना छत्रपति शिवाजी महाराज से किया जाना पसंद है या नहीं.
इस बीच, बीजेपी विधायक और शिवाजी के वंशज शिवेंद्रराजे भोसले ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि कुछ ‘‘चाटुकार’’ पार्टी की छवि खराब कर रहे हैं. सतारा से विधायक ने कहा, ‘‘मैं अपनी पार्टी से अनुरोध करता हूं कि वह ऐसे चाटुकारों पर लगाम लगाए जो अपने निजी हित के लिए किसी भी स्तर तक जाने को तैयार हैं. मैं शिवाजी महाराज और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच इस प्रकार की हर तुलना के पूरी तरह खिलाफ हूं.’’ एनसीपी के राज्य के मंत्रियों छगन भुजबल और जितेंद्र अव्हाड और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सुशील कुमार शिंदे ने इस किताब को लेकर निराशा व्यक्त की थी.
कांग्रेस के बाला साहेब थोराट ने कहा कि इसको लेकर कल मंगलवार को प्रदर्शन किया जाएगा. उन्होंने कहा, ”हमारा देश नोटबंदी, जीएसटी और अब सीएए और एनआरसी जैसी कई समस्याओं से गुजरा…और फिर वे मोदी की तुलना शिवाजी महाराज से कैसे कर सकते हैं. हम न केवल इस कार्य की निंदा करते हैं, बल्कि किताब पर बैन लगाने की मांग करते हैं. कल हम इसके खिलाफ एक विरोध प्रदर्शन करेंगे और लोग हमारे साथ जुड़ेंगे.”
वहीं, बीजेपी ने इस पूरे प्रकरण से किनारा करते हुए कहा कि उसका पुस्तक से कोई लेना देना नहीं है और यह लेखक की निजी राय है. बीजेपी के मीडिया प्रकोष्ठ के सहप्रभारी संजय मयुख ने कहा कि किताब के लेखक जय भगवान गोयल, जो पार्टी के सदस्य हैं, ने भी पुस्तक के उन हिस्सों की समीक्षा करने की इच्छा जताई है जिसे समाज के कुछ हिस्सों ने आपत्तिजनक पाया है.
जय भगवान गोयल ने न्यूज एजेंसी पीटीआई से कहा कि वह किताब के उन हिस्सों की समीक्षा करने को इच्छुक हैं, जिसपर विपक्षी नेताओं ने आपत्ति जताई है. उन्होंने कहा, ‘‘मैं केवल पाठकों को यह बताना चाहता था कि कैसे मोदी ने शिवाजी की तरह सभी को साथ लाने के लिए काम किया और वह उस काम को करने में सफल हुए जिसे दूसरे नामुमकिन मानते थे. अगर कुछ लोगों की भावना आहत हुई है तो मैं पुस्तक के उस हिस्सों की समीक्षा करना चाहता हूं.’’
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