वनडे वर्ल्ड कप की शुरुआत 5 अक्टूबर से भारत में हो रही है। देश में 12 साल बाद वनडे फॉर्मेट में वर्ल्ड कप के मैच होंगे। अहमदाबाद समेत 10 शहरों में टूर्नामेंट के 48 मुकाबले खेले जाएंगे।सभी 10 स्टेडियम के स्टेट एसोसिएशन को BCCI ने कुल 500 करोड़ रुपए दिए हैं। इन पैसों से स्टेडियमों का रिनोवेशन हुआ है। हर स्टेडियम में दर्शकों के लिए फैसिलिटी बेहतर की गई है।
इस स्टोरी में वर्ल्ड कप की मेजबानी कर रहे स्टेडियम के हालात, वहां की दर्शक क्षमता और ड्रेनेज सिस्टम के बारे में जानेंगे। साथ ही सभी ग्राउंड के इतिहास और रिकॉर्ड भी देखेंगे।
- नरेंद्र मोदी स्टेडियम, अहमदाबाद
इस स्टेडियम की स्थापना 1982 में हुई, तब इसका नाम सरदार पटेल स्टेडियम, मोटेरा था। 1983 में यहां भारत और वेस्टइंडीज के बीच टेस्ट मैच के रूप में पहला इंटरनेशनल मैच हुआ। 1984 में भारत-ऑस्ट्रेलिया के बीच पहला वनडे हुआ। 2015 में स्टेडियम को पूरी तरह से री-कंस्ट्रक्ट किया गया, 2020 में कंस्ट्रक्शन पूरा हुआ और इसे एक लाख 32 हजार दर्शकों के बैठने लायक बनाया गया। दुनिया के किसी भी क्रिकेट स्टेडियम में एक साथ इतने दर्शकों के बैठने की जगह कहीं नहीं है।
ड्रेनेज सिस्टम – स्टेडियम में सब सरफेस ड्रेनेज सिस्टम लगा है। सब सरफेस में ग्राउंड के अंदर ड्रेनेज सिस्टम लगा होता है। बारिश होती रहती है, तब ही ये सिस्टम पानी सोखना शुरू कर देता है। ऐसे में बारिश बंद होने के बाद ग्राउंड सूखने में ज्यादा समय नहीं लगता। यहां बारिश रुकने के बाद 30 मिनट में ही खेल फिर से शुरू किया जा सकता है। पिच और बॉलिंग एरिया को हाई क्वालिटी कवर्स से ढका जाता है, ग्राउंड की आउटफील्ड भी जल्दी सूख जाती है। जरूरत पड़ने पर सुपर-सोपर्स का इस्तेमाल भी किया जाता है, सुपर-सोपर में एक रोलर पर मैदान सूखाने का इक्विपमेंट लगा होता है।
- वानखेड़े स्टेडियम, मुंबई
इस स्टेडियम की स्थापना 1974 में हुई। यहां पहला इंटरनेशनल मैच 1975 में भारत-वेस्टइंडीज के बीच टेस्ट के रूप में हुआ, जिसे वेस्टइंडीज ने 201 रन से जीता। वानखेड़े में पहला वनडे मार्च 1987 में भारत-श्रीलंका के बीच हुआ, जिसे भारत ने 10 रन से जीता। 2011 में वनडे वर्ल्ड कप से पहले स्टेडियम का री-कंस्ट्रक्शन हुआ, जिसके बाद स्टेडियम में दर्शक क्षमता 39 हजार से घटकर 33 हजार ही रह गई।
ड्रेनेज सिस्टम – आउटफील्ड के अंदर पाइप्स लगे हैं, जो बारिश होने पर पानी को तेजी से सोखने में मदद करते हैं। इसी साल जून में आउटफील्ड को अपग्रेड किया गया, यहां भी अहमदाबाद की तरह आउटफील्ड सूखाने के लिए वर्ल्ड क्लास इक्विपमेंट मौजूद हैं। बारिश बंद होने के बाद 30 मिनट के अंदर खेल शुरू किया जा सकता है।
- ईडन गार्डन्स स्टेडियम, कोलकाता
कोलकाता स्थित इस स्टेडियम की स्थापना 1864 में हुई। भारत के सबसे पुराने इस क्रिकेट स्टेडियम की दर्शक क्षमता 66 हजार हैं। भारत और इंग्लैंड के बीच 1934 में यहां पहला टेस्ट मैच खेला गया। 1987 में भारत-पाकिस्तान के बीच यहां पहला वनडे हुआ था। 2011 में स्टेडियम अपग्रेड हुआ, जिस कारण सीटिंग कैपेसिटी 94 हजार से घटकर करीब 66 हजार ही रह गई।
ड्रेनेज सिस्टम – बारिश होने पर पूरा ग्राउंड हाई क्वालिटी कवर्स से ढका जाता है। बॉलिंग एरिया और पिच पर एक्स्ट्रा कवर्स लगाए जाते हैं। पिच और आउटफील्ड सूखाने के लिए वर्ल्ड क्लास इक्विपमेंट मौजूद हैं। बारिश बंद होने के 30 मिनट के अंदर खेल फिर से शुरू हो जाता है।
- चेपॉक स्टेडियम, चेन्नई
चेन्नई के चेपॉक शहर में स्थित एमए चिदम्बरम स्टेडियम 1916 में बना था। ये देश का तीसरा सबसे पुराना स्टेडियम है। 1934 में इसी ग्राउंड पर मद्रास और मैसूर के बीच पहला रणजी ट्रॉफी मैच खेला गया। भारत और इंग्लैंड के बीच 1934 में टेस्ट मैच के रूप में यहां पहला इंटरनेशनल मैच हुआ। ऑस्ट्रेलिया और भारत के बीच 1987 में यहां पहला वनडे इंटरनेशनल खेला गया।
ड्रेनेज सिस्टम – 2011 वर्ल्ड कप से पहले चेपॉक का ड्रेनेज सिस्टम अपग्रेड हुआ। 2 दिन तक लगातार बारिश हुई फिर भी ग्राउंड बारिश रुकने के एक घंटे के अंदर खेलने के लिए तैयार किया जा सकता है। आउटफील्ड के अंदर PVC के बड़े-बड़े पाइप लगे हैं, जिनकी मदद से पानी तेजी से सोख कर ग्राउंड से बाहर किया जाता है। बारिश आने पर पूरा ग्राउंड भी कवर किया जाता है।
- एम चिन्नास्वामी स्टेडियम, बेंगलुरु
बेंगलुरु के एम चिन्नास्वामी स्टेडियम की स्थापना 1969 में हुई। यहां 1974 में भारत और वेस्टइंडीज के बीच टेस्ट के रूप में पहला इंटरनेशनल मैच खेला गया। इसी मैच में वेस्टइंडीज के गॉर्डन ग्रीनिज और विवियन रिचर्ड्स जैसे दिग्गजों ने डेब्यू किया था। श्रीलंका और भारत के बीच 1982 में इस मैदान पर पहला वनडे खेला गया। मैदान ने 1987, 1996 और 2011 वर्ल्ड कप के दौरान कई ऐतिहासिक मैच होस्ट किए हैं।
ड्रेनेज सिस्टम – यहां सब-एयर ड्रेनेज सिस्टम लगा है, जो आम तौर पर गोल्फ कोर्स में लगा होता है। बारिश रुकने के बाद रिमोट कंट्रोल सिस्टम से पानी को ग्राउंड से बाहर कर दिया जाता है। कुछ ही मिनट के अंदर 10 हजार लीटर से भी ज्यादा पानी ग्राउंड से बाहर हो जाता है। बारिश आने पर यहां पिच और बॉलिंग एरिया समेत पूरे ग्राउंड को कवर्स से ढका जाता है।
- अरुण जेटली स्टेडियम, दिल्ली
1883 में फिरोज शाह कोटला स्टेडियम की स्थापना हुई, 2019 में इसका नाम बदलकर दिल्ली क्रिकेट के पूर्व अध्यक्ष अरुण जेटली के नाम पर रखा गया। 1948 में भारत-वेस्टइंडीज के बीच टेस्ट के रूप में यहां पहला इंटरनेशनल मैच खेला गया। 1982 में भारत और श्रीलंका के बीच पहला वनडे हुआ। 2009 में भारत-श्रीलंका के बीच वनडे में खराब पिच के कारण इंटरनेशनल क्रिकेट काउंसिल (ICC) ने स्टेडियम को 12 महीने के लिए बैन भी कर दिया था।
ड्रेनेज सिस्टम – वर्ल्ड कप से पहले ही स्टेडियम का ड्रेनेज सिस्टम अपग्रेड किया गया। यहां बारिश आने पर पिच और बॉलिंग एरिया को पूरी तरह से कवर किया जाएगा। बारिश बंद होने के 30 मिनट में खेल फिर शुरू किया जा सकता है।
- HPCA स्टेडियम, धर्मशाला
हिमाचल प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन के अंडर आने वाला धर्मशाला का यह स्टेडियम पहाड़ों के बीच बना है। ये दुनिया के सबसे सुंदर स्टेडियम में से एक है। भारत और इंग्लैंड के बीच 2013 में इस ग्राउंड पर पहला वनडे खेला गया था, इस ग्राउंड पर ये पहला इंटरनेशनल मैच था। 2017 में यहां पहला टेस्ट मैच खेला गया। 2017 में ही यहां आखिरी वनडे मुकाबला भी हुआ था, उसके बाद ग्राउंड अब सीधे वर्ल्ड कप की ही मेजबानी करेगा।
ड्रेनेज सिस्टम – पिछले साल आउटफील्ड में एडवांस ड्रेनेज सिस्टम फिट करने का काम शुरू किया गया, जो अब पूरी तरह तैयार है। स्टेडियम में सब-एयर सिस्टम इंस्टॉल किया गया, जिसमें एयर प्रेशर से आउटफील्ड का पानी जल्दी सोख लिया जाता है। अब बारिश बंद होने के 20 मिनट के अंदर ही खेल फिर शुरू किया जा सकेगा।
- राजीव गांधी इंटरनेशनल स्टेडियम, हैदराबाद
हैदराबाद में राजीव गांधी इंटरनेशनल स्टेडियम की स्थापना 2004 में हुई। 2005 में यहां भारत-साउथ अफ्रीका के बीच वनडे के रूप में पहला इंटरनेशनल मैच खेला गया। 2010 में यहां न्यूजीलैंड-भारत के बीच पहला टेस्ट मैच हुआ। ग्राउंड को पहली बार ICC इवेंट की मेजबानी मिली है। भारत ने यहां 7 वनडे खेले हैं। टीम ने शुरुआती 3 मैच हारे, लेकिन 2011 के बाद से टीम इंडिया ने यहां लगातार 4 वनडे जीते।
ड्रेनेज सिस्टम – बारिश के पानी को तेजी से सोखने के लिए सब-सॉइल ड्रेनेज सिस्टम लगा है। बारिश होने पर ग्राउंड स्टाफ पूरे मैदान को हाई क्वालिटी कवर्स से ढक देता है। बारिश बंद होने पर 2 सुपर-सोपर्स की मदद से ग्राउंड सूखाया जाता है। तेज बारिश बंद होने के बाद एक घंटे के अंदर खेल फिर से शुरू किया जा सकता है।
- इकाना स्टेडियम, लखनऊ
2017 में लखनऊ में अटल बिहारी वाजपेयी इकाना क्रिकेट स्टेडियम बनकर तैयार हुआ। 2018 में यहां भारत और वेस्टइंडीज के बीच टी-20 के रूप में पहला इंटरनेशनल मैच खेला गया। 2019 में यहां अफगानिस्तान-वेस्टइंडीज ने इस मैदान का पहला टेस्ट और पहला वनडे खेला।
ड्रेनेज सिस्टम – लखनऊ क्रिकेट स्टेडियम को 2017 में सभी मॉडर्न फैसिलिटी के साथ बनाया गया। IPL में ये लखनऊ सुपरजायंट्स टीम का होम ग्राउंड है। 2023 में प्रैक्टिस से पहले करीब 2 दिन तक बारिश हुई, लेकिन मॉडर्न ड्रेनेज के कारण ग्राउंड जल्दी सूख गया और बारिश बंद होने के कुछ देर बाद ही टीम ने आउटडोर प्रैक्टिस भी शुरू कर दी।
- MCA स्टेडियम, पुणे
2007 में BCCI के प्रेसिडेंट शरद पवार ने महाराष्ट्र में क्रिकेट स्टेडियम बनाने को मंजूरी दी। 2011 में स्टेडियम बन कर तैयार हो गया। भारत और इंग्लैंड के बीच 2012 में टी-20 के रूप में पहला इंटरनेशनल मैच खेला गया। 2013 में भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच यहां पहला वनडे हुआ। 2017 में यहां टेस्ट खेलना भी शुरू हो गया।
ड्रेनेज सिस्टम – यहां गोल्फ कोर्स की तरह सैंड बेस्ड आउटफील्ड लगी है। भारी बारिश के बाद भी ग्राउंड तेजी से सूख जाता है। पूरे ग्राउंड को कवर्स से ढका जाता है, जिससे बारिश रुकने के कुछ देर बाद ही खेल फिर शुरू किया जा सकता है।