पंजाब किसान आयोग के चेयरमैन अजयवीर जाखड़ का कहना है कि पंजाब में नकली बीज व घटिया कीटनाशक दवाएं बेचना आसान है। इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि पिछले दस सालों में घटिया कीटनाशक बेचने वाले 17 और फर्टिलाइजर बेचने वाले आठ लोगों को ही सजा हुई है। और तो और नकली बीज बेचने वाले एक भी शख्स को सजा नहीं मिली है। इसका कारण है बीज और कीटनाशक दवाओं को कंट्रोल करने वाला केंद्र का लचीला कानून।
घटिया बीज बेचने वाले किसी एक को भी सजा नहीं हुई अब तक
अजयवीर यहां पर्यावरण को लेकर चल रही नेशनल कांफ्रेंस में हिस्सा लेने पहुंचे थे। उन्होंने बताया कि पीएयू के पास ऐसी कोई सूची नहीं है जिसे वह हर साल जारी करते हों कि ये कीटनाशक दवाएं प्रतिबंधित हैं। किसानों की हालत इसी वजह से खराब होती है। जब वे नकली बीज लगाते हैं या कीटों का नाश करने के लिए घटिया कीटनाशक छिड़कते हैं तो दोनों में से कोई काम नहीं करता। ऐसे में उनके पास कर्ज लेकर घर चलाने के अलावा कोई चारा नहीं रहता। राज्य सरकार केवल 90 दिन तक दवाओं की बिक्री रोक सकती है, लेकिन इसे प्रतिबंधित नहीं कर सकती।
पंजाब किसान आयोग ने राज्य सरकार को सुझाव दिया है कि सभी कीटनाशक कंपनियों और बीज विक्रेताओं के लिए जरूरी बनाया जाए कि वे जब भी ये चीजें बेचें तो किसे बेची गई हैं और किस बीमारी के लिए दवा दी गई है इसकी जानकारी कृषि विभाग के पोर्टल पर दें ताकि विभाग किसानों को उक्त दवा संबंधी सलाह दे सके। इससे दवा विक्रेताओं पर भी दबाव बना रहेगा।
किसान आयोग के चेयरमैन ने कहा कि पंजाब का भूजल चिंतनीय स्तर तक गिर चुका है ऐसे में जब तक दूसरी फसलों के मंडीकरण की व्यवस्था नहीं होती तब पंचायती जमीन ठेके पर देने व उसमें धान की रोपाई पर पाबंदी लगा दी जाए। गिरते भूजल स्तर को देखते हुए सरकार को जल्द से जल्द जल नीति घोषित करनी चाहिए।
अजयवीर जाखड़ ने नहरी पानी चोरी के लिए सिंचाई विभाग के अधिकारियों की जवाबदेही तय करने की भी सरकार से सिफारिश की है। उन्होंने कहा कि जिन कामों के लिए इन्हें रखा गया है अगर उसे पूरा नहीं करते तो सरकार इनके वेतन पर खर्च क्यों करे?