बीरेंद्र सिंह धनोआ का जन्म पंजाब में मोहाली जिले के गांव घंड़ूआं में हुआ। उनका एक बेटा है, जो वकालत की पढ़ाई कर रहा है। उनके पिता सारायण सिंह आईएएस अफसर थे। 80 के दशक में वे पंजाब के चीफ सेक्रेटरी के पद पर भी रहे हैं। इसके बाद पंजाब के गवर्नर के सलाहकार के पद पर भी काम कर चुके हैं। जबकि उनके दादा संत सिंह वर्ल्ड वार-2 में ब्रिटिश आर्मी में कैप्टन के रूप में अपनी सेवाएं दे चुके हैं।
बीरेंद्र सिंह धनोआ को जून 1978 में भारतीय वायुसेना में एक लड़ाकू पाइलट के रूप में कमीशन दिया गया था, वे राष्ट्रीय भारतीय सैन्य कॉलेज, राष्ट्रीय रक्षा अकादमी और रक्षा सेवा स्टाफ कॉलेज वेलिंग्टन के छात्र रहे हैं। एयर मार्शल धनोआ एक योग्य फ्लाइंग प्रशिक्षक हैं और उन्होंने अपने प्रतिष्ठित कैरियर के दौरान अनेक प्रकार के लड़ाकू विमान उड़ाए हैं।
बीरेंद्र सिंह धनोआ ने करगिल युद्ध के दौरान लड़ाकू स्क्वाड्रन का नेतृत्व किया था और स्वयं पहाड़ी इलाकों में अनेक रात्रिकालीन मिशन उड़ानें भरी थीं। उन्हें लड़ाकू बेस के स्टेशन कमांडर और विदेश में भारतीय सैन्य प्रशिक्षण दल के नेता सहित अनेक महत्वपूर्ण परिचालन नियुक्तियों का कार्यभार संभालने का गौरव प्राप्त है।
बीरेंद्र सिंह को रक्षा सेवा स्टाफ कॉलेज वैलिंग्टन के मुख्य प्रशिक्षक (वायु), वायुसेना मुख्यालय में एयर स्टाफ (इंटेलिजेंस) के सहायक प्रमुख और दो परिचालन कमानों के सीनियर एयर स्टाफ आफिसर के पदों पर भी कार्य किया है। धनोआ वायुसेना के उप-प्रमुख के रूप में नियुक्ति से पूर्व दक्षिण-पश्चिमी वायु कमान के एयर आफिसर कमांडिंग-इन-चीफ थे। सराहनीय सेवाओं के लिए राष्ट्रपति ने उन्हें 1999 में युद्ध सेवा मैडल (वाईएसएन), वायुसेना मेडल (वीएन) और 2015 में अति विशिष्ट सेवा मेडल (एवीएसएम) प्रदान किए थे। एयर मार्शल धनोआ एयर मार्शल रविकांत शर्मा पीवीएसएम, एवीएसएम, वीएम एडीसी के स्थान पर वायुसेना उप-प्रमुख बने थे, जो 40 वर्ष की शानदार सेवा के बाद 31 मई 2015 को सेवानिवृत्त हुए थे। बीरेंद्र सिंह धनोआ के वायु सेना प्रमुख बनने की खबर जैसे उनके पैतृक गांव घंड़ूआं पहुंची, पूरे गांव में खुशी की लहर दौड़ गई। गांव में परिवार का घर व जमीन का कुछ हिस्सा है। गांव के एक बुजुर्ग ने बताया कि बरिंदर शुरू से ही अन्य बच्चों से अलग थे। वह पढ़ाई में काफी होशियार था। उसने गांव से बाहर जाकर स्टडी की थी। वह काफी मिलनसार और शालीन हैं। जब भी गांव आते हैं तो वह सबसे मिल कर ही जाते हैं।