देहरादून: गोल्डन फॉरेस्ट व पर्ल एग्रो कंपनी लि. (पीएसीएल) की तरह लोगों को जमीन में निवेश के नाम पर रकम दोगुनी करने का लालच देकर धोखाधड़ी करने का मामला सामने आया है। एसटीएफ ने इस खेल का भंडाफोड़ करते हुए यूनाइटेड एग्रो लाइफ इंडिया कंपनी के तीन निदेशकों को गिरफ्तार किया है। उनके पटलेनगर स्थित मुख्य कार्यालय को भी सील कर दस्तावेज कब्जे में लिए गए हैं।
आरोपितों ने उत्तराखंड, दिल्ली और उत्तर प्रदेश में कंपनी के 31 दफ्तर खोले थे, जहां से लोगों को झांसा देकर रकम निवेश कराई जा रही थी। साथ ही आरबीआइ और सेबी से भी कंपनी को लेकर जानकारी जुटाई जा रही है। अभी यह स्पष्ट नहीं हो सका है कि कितने लोगों की कितनी रकम को आरोपितों ने हजम कर लिया है।
शुरुआती पड़ताल में कम से कम एक हजार लोगों की रकम डकारने की बात सामने आई है। हालांकि पुलिस अधिकारी मान रहे हैं कि जिस तरह कंपनी का नेटवर्क कई राज्यों में फैला है, उसे देखते हुए निवेशकों की संख्या कई गुना हो सकती है। जानकारी के मुताबिक, स्पेशल टास्क फोर्स को कई दिनों से शिकायत मिल रही थी कि उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश और दिल्ली में दफ्तर खोलकर कुछ लोग जमीन में निवेश के नाम पर एफडी और आरडी कराकर रकम दोगुनी करने का लालच दे रहे हैं।
इसके लिए बाकायदा यह लोग अपनी वेबसाइट पर कंपनी का बिजनेस ग्रोथ बढ़ा-चढ़ाकर लोगों को भ्रमित कर करते हैं। इस मामले में दून निवासी एक व्यक्ति की तहरीर के बाद साइबर थाने में कंपनी के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया था। जिसके बाद एसएसपी एसटीएफ रिदिम अग्रवाल ने अपर पुलिस अधीक्षक अजय सिंह पुलिस उपाधीक्षक कैलाश पंवार के नेतृत्व में टीम गठित की।
जांच के बाद टीम ने कंपनी के पटेलनगर स्थित मुख्य कार्यालय पर छापा मारा। दस्तावेज कब्जे में लेने के साथ तीन निदेशकों मोहम्मद अहसान हैदर, शहनवाज पुत्र हैदर निवासी ग्राम गुड़करी, बिजनौर और प्रदीप गुप्ता पुत्र रमेश चंद्र गुप्ता निवासी पुरानी सब्जी मंडी कस्बा कैलारस, मध्य प्रदेश हाल निवासी सभी देवऋषि एन्क्लेव, पटेलनगर को गिरफ्तार कर लिया। मौहम्मद अहसान कंपनी में मैनेजिंग डायरेक्टर, शहनवाज डायरेक्टर और प्रदीप गुप्ता असिस्टेंट डायरेक्टर हैं।
2010 में बनाई थी कंपनी
यूनाइटेड एग्रो लाइफ इंडिया कंपनी की स्थापना वर्ष 2010 में की गई थी। दून स्थित दफ्तर में दस कर्मचारी और तीन निदेशक काम कर रहे हैं। कपंनी की उत्तराखंड में बाजपुर, काशीपुर, कोटद्वार, लक्सर, हरिद्वार, रुड़की, वह किच्छा में शाखाएं हैं। एसटीएफ के मुताबिक दस्तावेजों के आधार पर कंपनी का वर्ष 2017 का टर्नओवर 25 करोड़ रुपये पाया गया है।
ऐसे लेते थे लोगों को झांसे में
एसएसपी एसटीएफ रिदिम अग्रवाल के अनुसार पूछताछ में आरोपितों ने बताया कि वह जमीन में निवेश के नाम पर लोगों का पैसा लेते थे। लोगों को भरोसे में लेने के लिए आरडी और एफडी की रसीद भी सौंपी जाती थी। आरोपितों ने एफडी पूरी होने पर कुछ निवेशकों को रकम वापस भी की थी। मगर वह कहां पर जमीन में निवेश कर रहे हैं, इसकी कोई जानकारी निवेशकों को नहीं देते थे।
पांच अन्य कंपनियों के नाम आए सामने
जिन निवेशकों की आरडी या एफडी मैच्योर हो जाती थी, उन्हें आगे निवेश करने के लिए दूसरी कंपनियों में पैसा लगाने का झांसा दिया जाता था। इसके लिए आरोपितों ने यूनाइटेड मल्टी ट्रेड प्राइवेट लिमिटेड, यूनाइटेड वी टेक डेवलेपर्स लिमिटेड, यूनाइटेड वी एग्रो प्रड्यूसर कंपनी, यूनाइटेड वी म्युचुअल इंश्योरेंस निधि और यूनाइटेड वर्ड मारएक्सपर्ट एंड इंडस्ट्रीज प्राइवेट लिमिटेड के नाम पांच कंपनियां बनाई थीं।
नियमों का भी किया है उल्लघंन
एसएसपी एसटीएफ रिदिम अग्रवाल ने बताया कि कंपनी की ओर से उत्तरांचल निपेक्षक जमाकर्ता हित संरक्षण अधिनियम 2005 का उल्लघंन किया गया है। साथ ही कंपनी ने कलेक्टिव इंवेस्टमेंट स्कीम के अंतर्गत दिए गए दिशा निर्देशों का भी उल्लघंन किया है। इस संबंध में सेबी से पत्राचार किया जा रहा है।
खंगाले जा रहे हैं दस्तावेज
एसएसपी, एसटीएफ रिदिम अग्रवाल के मुताबिक कपंनी ने कितने लोगों से कितनी रकम की धोखाधड़ी की है, इसके लिए कंपनी के दस्तावेज खंगाले जा रहे हैं। कंपनी नियमों का उल्लंघन कर खोली गई है, इसलिए कंपनी की सभी प्रॉपर्टी को सीज भी किया जा सकता है। सेबी और आरबीआइ से भी इस कंपनी को लेकर जानकारी जुटाई जा रही है।