देश में लोकतंत्र खतरे में है. क्यों इसके पीछे राजनीतिक दलों ने ईवीएम (EVM) को जिम्मेदार ठहराया है. चुनाव आयोग ने हारे दलों को अपनी हार का ठीकरा ईवीएम पर फोड़ने पर ऐतराज जताया और साफ कहा कि ईवीएम हैकिंग प्रूफ है. इसके बावजूद राजनीतिक दल अपने आरोपों पर कायम रहे. पिछले दो महीनों में करीब 16 राजनीतिक दलों ने चुनाव आयोग में जाकर अधिकारियों से मुलाकात की है और अपनी-अपनी चिंताओं से अवगत कराया. चुनाव आयोग लगातार ईवीएम पर उठ रहे प्रश्नों का जवाब देने और संस्था पर लोगों का विश्वास बनाए रखने के लिए ईवीएम हैकेथॉन (EVM hackathon) का आयोग 3 जून को किया है.
अब चुनाव आयोग आज ईवीएम चैलेंज का आयोजन कर रहा है. इसमें राजनीतिक दलों यह साबित करना है कि इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) में छेड़छाड़ की जा सकती है.चुनाव आयोग के प्रवक्ता ने कहा कि ‘ईवीएम चैलेंज तय समय पर होगा. यह सुबह 10 बजे शुरू होगा और दोपहर दो बजे तक चलेगा. एनसीपी और माकपा ने इसके लिए अपने तीन-तीन प्रतिनिधि नामांकित किए हैं. चैलेंज एक साथ दो अलग-अलग हॉलों में आयोजित किया जाएगा’.
चुनाव आयोग द्वारा ईवीएम चैलेंज के लिए उत्तर प्रदेश, पंजाब और उत्तराखंड के ‘स्ट्रांग रूम’ से 14 इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) मंगाई हैं, जिनका उपयोग हालिया विधानसभा चुनाव में किया गया था. आयोग के सूत्रों ने कहा कि हर प्रतिभागी पार्टी अधिकतम चार ईवीएम का उपयोग कर सकती है, लेकिन अतिरिक्त मशीनें ‘बैक अप के तौर’ पर रखी गई हैं.
कांग्रेस, आम आदमी पार्टी, बसपा से लेकर कुछ अन्य दलों ने ईवीएम मशीनों की विश्वसनीयता पर सवाल उठाए थे और आरोप लगाया था कि ईवीएम से छेड़छाड़ संभव है. राजनीतिक दलों के आरोपों के मद्देनजर आयोग ने ईवीएम चैलेंज का आयोजन किया है, क्योंकि आयोग शुरू से कहता रहा है कि ईवीएम मशीनों से छेड़छाड़ संभव नहीं है और यह पूरी तरह विश्वसनीय हैं.
निर्वाचन आयोग ने यह घोषणा उत्तराखंड हाईकोर्ट द्वारा ईवीएम चुनौती पर रोक लगाने वाली याचिका खारिज किए जाने के बाद की. दरअसल, उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें चुनाव आयोग की ईवीएम चुनौती पर रोक लगाने का अनुरोध किया गया था.
इससे पूर्व प्रदेश कांग्रेस के एक नेता द्वारा दायर जनहित याचिका को उस खारिज करते हुए उत्तराखंड हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति राजीव शर्मा और न्यायमूर्ति शरद शर्मा की खंडपीठ ने ईवीएम चुनौती को हरी झंडी दे दी. याचिका में निर्वाचन आयोग के कदम की संवैधानिक त्रुटिहीनता को चुनौती दी गई थी.
बता दें कि 8 साल बाद एक बार फिर EVM को लेकर उपजे विवाद के चलते आखिरकार चुनाव आयोग ने इससे जुड़ी शंकाओं के निराकरण के लिए ईवीएम और वीवीपीएटी का डेमो दिया. हाल ही में इस मौके पर बोलते हुए मुख्य निर्वाचन आयुक्त(सीईसी) नसीम जैदी ने कहा कि हालिया पांच राज्यों के चुनावों के बाद इस संबंध में कई शिकायतें एवं सुझाव मिले हैं लेकिन कमीशन को कोई सबूत नहीं दिया गया है. इस बारे में किसी ने भी कोई विश्वसनीय सबूत नहीं दिए.
इसके साथ ही सीईसी नसीम जैदी ने कहा कि ईवीएम के साथ छेड़छाड़ संभव नहीं है. इसके साथ ही आयोग ने साफ कहा कि उसकी किसी भी दल के साथ नजदीकी नहीं है. उन्होंने यह भी कहा कि यह प्रचारित किया जा रहा है कि ये ईवीएम विदेश से आ रही हैं लेकिन ऐसा नहीं है. हमारी मशीनें देश में ही बनती हैं. इन मशीनों में आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल किया गया है. इसका डाटा ट्रांसफर नहीं हो सकता. इसके साथ ही सीईसी ने कहा कि शंकाओं के निराकरण के लिए 2019 के आम चुनावों से हर मतदाता को वीवीपीएटी उपलब्ध कराई जाएगी. ऐसा करने वाला भारत पूरी दुनिया का अकेला मुल्क होगा.