जानकर हैरानी होगी कि देश में एक ऐसी अद्भुत जगह है, जहां हमेशा जवां और खूबसूरत दिखने का राज छिपा है। सोच में पड़ गए न यह जानकर, पढ़िए पूरी कहानी। हम बात कर रहे हैं अरावली पर्वत श्रृंखला के पास मौजूद धोसी पहाड़ी की। इस पहाड़ी से कई आयुर्वेद के रहस्य जुड़े हुए हैं। क्या आप जानते हैं कि हमेशा जवान और खूबसूरत दिखने के लिए कौन औषधी है। इस औषधि का नाम कायाकल्प है। यह एक ऐसी औषधि है, जिससे त्वचा तो अच्छी होती ही है और स्वास्थ्य भी दिनोंदिन बेहतर होता जाता है।
धोसी पहाड़ी भारत में स्थित है, यह दक्षिण हरियाणा एवं उत्तरी राजस्थान की सीमाओं पर स्थित है। पहाड़ी का हरियाणा वाला भाग महेंद्रगढ़ जिले में स्थित है एवं सिंघाणा मार्ग पर नारनौल से 5 किमी दूरी पर है और राजस्थान वाला भाग झुन्झुनू में स्थित है। धोसी पहाड़ी के बारे में लोगों का कहना है कि यह एक चमत्कारी पहाड़ी है। इसके रहस्य को न तो कोई जान पाया है और न ही जान पाएगा।
विशेषज्ञ भी मानते हैं कि जिसने भी आज तक ऐसा करने की कोशिश की, वह सफल नहीं हो पाया। वैसे तो आयुर्वेद की सबसे महान खोज च्यवनप्राश को माना जाता है, पर शायद ही कोई यह जानता होगा कि च्यवनप्राश जैसी आयुर्वेदिक दवा धोसी पहाड़ी की देन है। धोसी पहाड़ी दरअसल अरावली पर्वत श्रृंखला के अंतिम छोर पर उत्तर-पश्चिमी हिस्से में एक सुप्त ज्वालामुखी है।
उत्तरी अक्षांश 28*03’39.47″ और पूर्वी देशान्तर 76*01’52.63″ पर स्थित यह इकलौती पहाड़ी है, जो कई रहस्यमयी कारणों से चर्चित रहती है। इस पहाड़ी का उल्लेख विभिन्न धार्मिक पुस्तकों में भी मिलता है। इस ज्वालामुखी में हजारों साल से कोई विस्फोट नहीं हुआ है। धोसी पहाड़ी के बारे में कहा जाता है कि जो भी महान व्यक्ति इस पहाड़ी पर बैठकर वेद लिखता है, पहाड़ी उस व्यक्ति और वेद के महान तत्व अपने अंदर स्थापित कर लेती है।
धोसी पहाड़ी का रहस्य आज भी कायम है कि आखिरकार इसमें ऐसा क्या है जो महान वेदों, महान व्यक्तियों, ऋषियों के महान गुण अपने अंदर स्थापित कर लेती है और साथ में यह भी कि जब यह पहाड़ी ज्वालामुखी है तो कभी भी इसमें कोई विस्फोट क्यों नहीं हुआ है। महाभारत महाकाव्य के अनुसार इस पहाड़ी की उत्पत्ति त्रेता युग में हुई थी। लगभग 5100 वर्ष पूर्व पांडव भी अपने अज्ञातवास के दौरान यहां आए थे।
विश्व के सबसे पुराने धर्म यानी सनातन धर्म के शुरूआती विकास से लेकर आयुर्वेद की महत्वपूर्ण खोज च्यवनप्राश का नाता धोसी पहाड़ी से है। एक सुप्त ज्वालामुखी की संरचना होते हुए भी भूगर्भशास्त्री इसे ज्वालामुखीय संरचना मानने से इंकार करते हैं। भूगर्भशास्त्रियों का कहना है कि पिछले 2 मिलियन सालों में अरावली पर्वत श्रृंखला में कोई ज्वालामुखी विस्फोट नहीं हुआ, इसलिए इसे ज्वालामुखी संरचना मानना सही नहीं है।